सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : एयरपोर्ट के सेकेंडरी रनवे के बेहद करीब स्थित लगभग 100 साल पुरानी मस्जिद को लेकर सुरक्षा चिंताएँ एक बार फिर सामने आई हैं। नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने बताया कि मस्जिद रनवे के अप्रोच क्षेत्र में होने के कारण टचडाउन पॉइंट (थ्रेशहोल्ड) को 88 मीटर आगे खिसकाना पड़ा है।
2,832 मीटर लंबा सेकेंडरी रनवे Boeing B767 और Airbus A310 जैसे Code D विमान के लिए पर्याप्त है, इसलिए दैनिक उड़ान संचालन पर असर नहीं पड़ता। लेकिन एयरपोर्ट अधिकारियों का कहना है कि आपात स्थिति में मस्जिद खतरा बन सकती है।
एक अधिकारी ने बताया, “अगर विमान मध्यमग्राम दिशा से लैंडिंग करते समय कम ऊंचाई पर आ जाए या न्यू टाउन दिशा से आते समय रनवे पार कर जाए, तो वह मस्जिद से टकरा सकता है। यह विनाशकारी हादसा हो सकता है।” मस्जिद रनवे से केवल 165 मीटर दूर है, जबकि 240 मीटर का सुरक्षा क्षेत्र अनिवार्य है।
सर्दियों में कोहरा बढ़ने पर समस्या और गंभीर हो जाती है। 3,633 मीटर लंबा प्राइमरी रनवे दोनों ओर Category III ILS से लैस है और 50 मीटर दृश्यता में भी ऑपरेशन संभव है। लेकिन सेकेंडरी रनवे के उत्तरी छोर पर ही Category I ILS है। दक्षिणी दिशा से आने वाले विमानों के लिए ILS नहीं लगाया जा सकता क्योंकि मस्जिद इसकी स्थापना में बाधा बनती है। इससे सर्दियों में उत्तर से दक्षिण की हवा बहने पर लैंडिंग बेहद जटिल हो जाती है।
एयरपोर्ट अधिकारियों ने बताया, “पायलटों को दिशा और एप्रोच गाइडेंस देने वाला लोकलाइजर दक्षिण दिशा पर लगाया ही नहीं जा सकता।”
सीआईएसएफ ने भी सुरक्षा संबंधित चिंता जताई है। मस्जिद में जाने वाले श्रद्धालुओं की एयरपोर्ट परिसर में एंट्री से पहले तलाशी और रजिस्ट्रेशन तो होता है, पर उनके पास BCAS (Bureau of Civil Aviation Security) की मंजूरी नहीं होती। पहले भक्त 200 मीटर लंबा कॉरिडोर पैदल पार करते थे, लेकिन अब नमाज़ से पहले और बाद में बस सेवा चलाई जाती है। इसी बदलाव के चलते नए टैक्सी ट्रैक बनाने में सुविधा हुई, जिससे विमान बिना बैकट्रैक किए रनवे के उत्तरी छोर तक पहुँचकर टेकऑफ कर सकते हैं।