कोलकाता : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने इस साल तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती की है। फरवरी 2025 में रेपो रेट 6.50% से घटाकर 6.25% की गई थी। अप्रैल में इसमें 0.25% की कटौती हुई और अब जून में फिर से 0.50% की कटौती की गयी। इस तरह 2025 में अब तक कुल 1% की कटौती हो चुकी है। यहां उल्लेखनीय है कि रेपो रेट वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को कर्ज देता है। जब आरबीआई यह दर घटाता है तो बैंक भी अपने ग्राहकों को सस्ते दरों पर लोन देने लगते हैं। इसका मतलब है कि आपका लोन सस्ता हो सकता है और मासिक ईएमआई घट सकती है। ऐसे में महानगर के रियल एस्टेट मार्केट से जुड़े व्यवसायियों ने इस पर खुशी जाहिर करते हुए मार्केट में उछाल की उम्मीद जतायी है।
आसानी से उपलब्ध हो सकेगा आवासन
मर्लिन ग्रुप के चेयरमैन व क्रेडाई पश्चिम बंगाल के प्रेसिडेंट सुशील मोहता ने कहा, ‘आरबीआई द्वारा रेपो दर में 50 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती करके इसे 5.5% करने का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है, जिसका देश भर के रियल एस्टेट क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। विशेष रूप से, कोलकाता को इसका काफी लाभ मिलेगा, क्योंकि यह मुख्य रूप से किफायती आवास बाजार है। कम होम लोन दरों से बड़े हिस्से के लिए आवास अधिक सुलभ हो जाएगा और खरीदार की भावना को बढ़ावा मिलेगा। डेवलपर्स के लिए, खासकर चल रहे और किफायती आवास परियोजनाओं के लिए कम उधार लागत से वित्तीय दबाव कम होगा।’
खरीदारों के लिए सामर्थ्य में सुधार
एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘यह प्रभावी रूप से उधार लेने की लागत को कम करता है, जिससे होम लोन की ईएमआई जेब पर आसान हो जाती है और इस तरह खरीदारों के लिए सीधे सामर्थ्य में सुधार होता है। किफायती आवास को महामारी का सबसे तीव्र प्रभाव झेलना पड़ा, शीर्ष 7 शहरों में बिक्री और नए लॉन्च में कमी आई। एनारॉक डेटा से पता चलता है कि किफायती आवास की बिक्री हिस्सेदारी 2019 में 38% से गिरकर 2024 में 18% हो गई, जबकि इसी अवधि में इसकी आपूर्ति हिस्सेदारी 40% से गिरकर 16% हो गई। हालांकि, बिना बिके स्टॉक में 19% की गिरावट अंतिम उपयोगकर्ताओं के नेतृत्व में निरंतर मांग का संकेत देती है। इससे डेवलपर्स की उधार लेने की लागत भी कम होगी।’
यह बदलाव आर्थिक गतिविधि को देगा बढ़ावा
पूर्ति रियल्टी के एमडी महेश अग्रवाल ने कहा, ‘इससे उधार लेने की लागत में काफी कमी आएगी। नीति दर में यह बदलाव निश्चित रूप से ऋण के माध्यम से घर खरीदने की सुविधा बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा। हम उम्मीद करते हैं कि मांग में तेजी से वृद्धि होगी, क्योंकि कम ईएमआई से सभी क्षेत्रों में घर के स्वामित्व की सुविधा बढ़ेगी, चाहे वह किफायती हो, मध्यम श्रेणी का हो या लग्जरी। मौद्रिक नीति में यह बदलाव आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने तथा बैंकिंग प्रणाली में तरलता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इससे निवेश बढ़ेगा तथा रियल एस्टेट और वित्तीय बाजारों में अधिक भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।’