कोलकाता : महानगर के एक एक निजी अस्पताल द्वारा सिर्फ चार दिनों में 12 लाख रुपये का बिल थमाए जाने से हड़कंप मच गया है। मामला फोर्टिस हॉस्पिटल का है, जहां 73 वर्षीय प्रणव राय चौधरी को भर्ती किया गया था। इलाज के दौरान तीन बड़ी न्यूरो सर्जरी की गईं और फिर मरीज को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इस पूरे प्रकरण में अस्पताल की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। परिजनों का कहना है कि जब इलाज का खर्च बेतहाशा बढ़ने लगा, तब उन्होंने मरीज को वेस्ट बंगाल हेल्थ स्कीम के अंतर्गत इलाज देने की गुहार लगाई। अस्पताल ने योजना के तहत इलाज तो शुरू किया, लेकिन आरोप है कि इसके बाद इलाज में लापरवाही बरती गई, जिससे मरीज की हालत और बिगड़ गई। मरीज के परिजनों ने मामले की शिकायत पश्चिम बंगाल क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन में की। आयोग ने शुक्रवार को हुई सुनवाई में माना कि इतना बड़ा बिल उनके सामने पहली बार आया है। आयोग के चेयरमैन (पूर्व जस्टिस) असीम कुमार बनर्जी ने बताया कि इलाज में लापरवाही की जांच उनकी सीमा से बाहर है, लेकिन ओवरबिलिंग की जांच जरूर की जाएगी। इसके लिए एक तीन सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी की अगुवाई प्रख्यात जनरल सर्जन डॉ. माखन लाल साहा करेंगे। उनके साथ राज्य स्वास्थ्य सेवा निदेशक और आयोग के सचिव भी कमेटी में शामिल हैं। यह समिति पूरे बिल की समीक्षा कर रिपोर्ट सौंपेगी। स्वास्थ्य आयोग ने निर्देश दिया है कि अस्पताल मृतक की पत्नी के नाम छह लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट कराए। बाकी राशि की वैधता जांच के बाद तय की जाएगी। समिति की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।