कोलकाता : वर्ष 2019 में ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना के तहत बहूबाजार स्थित दुर्गा पितुरी लेन और साकरा पाड़ा लेन में अंडरग्राउंड टनलिंग के दौरान कई मकान ढह गए थे और कई में गंभीर दरारें आ गई थीं। इस घटना के बाद मेट्रो प्राधिकरण ने प्रभावित परिवारों को उनके मकान दो वर्षों के भीतर मरम्मत या पुनर्निर्माण कर वापस देने का वादा किया था। शुक्रवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईस्ट-वेस्ट मेट्रो सेवा को हरी झंडी दिखाकर रवाना कर रहे थे, वहीं कोलकाता नगर निगम मुख्यालय में मासिक अधिवेशन के दौरान वार्ड नंबर 48 के पार्षद विश्वरूप दे ने बताया कि आज तक इलाके के विस्थापित लोगों को उनका मकान वापस नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि मेट्रो परियोजना शुरू होने से स्थानीय लोगों में अब भी यह भय है कि दोबारा कहीं दुर्घटना न हो जाए।
उन्होंने मेयर से अनुरोध किया कि मेट्रो प्राधिकरण द्वारा किए जाने वाले निर्माण कार्य की निगरानी के लिए एक मॉनिटरिंग सेल का गठन किया जाए। पार्षद ने कहा कि केएमआरसीएल ने 2019 में यह वादा किया था कि दो वर्षों के भीतर सभी मकानों की मरम्मत या पुनर्निर्माण कर दिया जाएगा, लेकिन आज तक वह पूरा नहीं हुआ है। प्रस्ताव के जवाब में मेयर फिरहाद हकीम ने बताया कि केएमआरसीएल ने बहूबाजार इलाके में प्रभावित 23 मकानों के पुनर्निर्माण के लिए बिल्डिंग प्लान कोलकाता नगर निगम को सौंपे हैं। इनमें से एक प्लान को मेयर परिषद की बैठक में अनुमोदित कर विभाग को भेज दिया गया है। इसके साथ ही केएमसी ने मकानों की मरम्मत के कार्य की निगरानी के लिए जादवपुर विश्वविद्यालय की एक समिति को ऑब्जर्वर के तौर पर नियुक्त करने का निर्णय लिया है। साथ ही केएमआरसीएल से यह भी मांग की गई है कि मकानों के निर्माण के बाद आगामी 10 वर्षों तक किसी भी प्रकार की क्षतिपूर्ति का खर्च वही वहन करे। हालांकि, अब तक केएमआरसीएल की ओर से इस संबंध में कोई जवाब नहीं आया है।