मरूधर मेला मरूधर मेला
कोलकाता सिटी

मरूधर मेला में टूटा दर्शनार्थियों की भीड़ का रिकॉर्ड

अद्रिजा ट्रूप के कलाकारों ने मचाया धमाल, खास अतिथियों की उपस्थिति से उत्साहित आयोजक

सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : साल्टलेक की हृदय स्थली करुणामयी के समीप आयोजित मरूधर मेला में साप्ताहिक छुट्टियों के चलते लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है। शनिवार होने की वजह से भीड़ इतनी बढ़ गई कि मेला को संचालित करने में आयोजकों के पसीने छूट गए। करुणामयी मेट्रो स्टेशन के संलग्न होने से हावड़ा के लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। सरकारी एवं कार्पोरेट कर्मचारी भी अपने परिवार के साथ वीकेंड का मजा लेने मरूधर मेला में आ रहे हैं जहां सभी उम्र के लोगों के मनोरंजन की भरपूर सामग्री मौजूद है। किडजोन में बच्चों के खेलकूद की विविधता है तो फूड जोन में चटपटे खाद्यान्नों की भरमार। किफायती दरों पर उत्कृष्ट भोजन के लिए मरूधर मेला आदर्श ठिकाना बना हुआ है। मेला प्रांगण में बाजरे की घी चुपड़ी रोटी गुड़ के साथ खाकर लोग गांव की ऊष्मा महसूस कर रहे हैं। आयोजकों ने इन सामग्रियों को सप्रेम भेंट के लिए उपलब्ध करा रखा है। शनिवार के खास संगीत कार्यक्रम में जब अद्रिजा ट्रूप के कलाकारों ने अपनी ऊर्जावान प्रस्तुतियां शुरू की तो दर्शकों का हुजूम उमड़ पड़ा। युवाओं की टोली मोहक गीतों पर थिरकती रही। शाम ढलते ही मेला परिसर में सजे मंचों पर जैसे रंगों, सुरों और तालों की बहार आ गई। लोकनृत्य, शास्त्रीय भाव-भंगिमाएं और आधुनिक मंचीय संयोजन—तीनों का संतुलित संगम मरूधर मेला को सदाबहार बनाए हुए है। कलाकारों ने अपनी सधी हुई लय, भावपूर्ण अभिव्यक्ति और समन्वित समूह नृत्य से दर्शकों को बांधे रखा है। बंगाल की लोकनृत्य परंपराओं से प्रेरित छाऊ नृत्य की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया है।

राजस्थानी और हरियाणवी रंगों की झलक ने कार्यक्रम को बहुरंगी आयाम दिया है। पारंपरिक परिधानों, जीवंत मेकअप और सटीक प्रकाश-व्यवस्था ने मंच को दृश्यात्मक रूप से भी समृद्ध बनाया है । संगीत संयोजन में ढोल, मृदंग और आधुनिक वाद्ययंत्रों का तालमेल दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर रहा है। मारवाड़ी संस्कृति मंच के पदाधिकारियों ने कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे ट्रूपों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे सांस्कृतिक समूह मेले की आत्मा होते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों की परंपराओं को जोड़कर एक साझा सांस्कृतिक संवाद रचते हैं। कलाकारों ने भी मंच से मरूधर मेला के मंच को सम्मानजनक बताते हुए दर्शकों के स्नेह और उत्साह के लिए आभार व्यक्त किया है। दर्शकों में परिवारों, युवाओं और कला प्रेमियों की बड़ी उपस्थिति मरूधर मेला की सफलता का रहस्य है। दर्शक कलाकारों के साथ तस्वीरें खिंचवाकर उसे यादों में संजो रहे हैं। आज भी बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी, न्यायाधीश और विदेशी दूतावासों के वरिष्ठ अधिकारी सहित समाज के गणमान्य लोग मेला में पहुंचे और आयोजकों के प्रबंधन की प्रशंसा की। ऊंट, घोड़ा और बैलगाड़ी की सवारी के लिए लोगों की कतार खत्म होने का नाम नहीं ले रही। सभी कतारबद्ध होकर बारी-बारी से इन सवारियों का आनंद उठा रहे हैं। रविवार को भीड़ और बढ़ने की उम्मीद है। फरमाइश बैंड की प्रस्तुति और विख्यात कलाकार अभिरुप सेनगुप्ता की मौजूदगी को लेकर युवाओं में विशेष उत्साह है। राजस्थान, हरियाणा के प्रवासियों की तरह स्थानीय बंगाली समाज में भी मेला देखने की ललक है। वे भी विश्व इतिहास की अनमोल धरोहर राजस्थान की आन-बान-शान को अपनी आंखों से देखकर गर्वानुभूति करने को बेताब हैं। मेला घूम रहे दर्शकों का कहना है कि मरूधर मेला सांस्कृतिक मेल-बंधन का सर्वश्रेष्ठ मंच है जो न सिर्फ लोगों को स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करता है बल्कि राजस्थान, हरियाणा और बंगाल के बीच सांस्कृतिक सेतु का माध्यम भी बन रहा है।

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