कोलकाता सिटी

ममता दीदी संभालेंगी I.N.D.I.A ब्लॉक की कमान, इस सांसद ने किया दावा

पश्चिम बंगाल में विरोधियों को मिलेगी हार - कीर्ति आजाद

कोलकाता - तृणमूल कांग्रेस के सांसद कीर्ति आजाद ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उनका कहना है कि ममता बनर्जी I.N.D.I.A गठबंधन की अध्यक्ष बनेंगी। उन्होंने ये भी कहा कि जो भी ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ने पश्चिम बंगाल आएगा, उसे हार का सामना करना पड़ेगा। कीर्ति आजाद को पूरा यकीन है कि भविष्य में ममता दीदी I.N.D.I.A गठबंधन की अध्यक्ष बनकर देश का नेतृत्व करेंगी।

कीर्ति आजाद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। भागवत ने यह कहा था कि हिंदू भारतीय समाज को आकार देने में एक अहम भूमिका निभाते हैं। इस पर टीएमसी सांसद ने कहा कि आरएसएस और बीजेपी के पास सिर्फ झूठे वादे हैं और उनका मुख्य उद्देश्य लोगों को भ्रमित करना है।

अंग्रेजों को साथी थे आरएसएस के लोग -  कीर्ति आजाद

कीर्ति आजाद ने कहा, "आरएसएस के लोग शुरूआत से ही अंग्रेजों के साथी थे। उन्होंने देश के बंटवारे में भूमिका निभाई। दुनिया उनके बारे में जानती है। वे धर्म के नाम पर एकजुट होते हैं। मगर जब आप उनसे पूछें कि आरएसएस या बीजेपी ने क्या किया तो उनके पास सिर्फ जुमले हैं। लोगों को गुमराह करना उनका काम है।"

रविवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान जिले में मोहन भागवत ने संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने हिंदू समाज की विविधता और उसकी विशेषताओं पर जोर दिया और सभी से इसे स्वीकार करने की अपील की, ताकि हिंदू आगे बढ़ सकें। संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि अगर इस सवाल का संक्षिप्त जवाब देना हो कि संघ क्या चाहता है, तो उनका उद्देश्य पूरे हिंदू समाज को एकजुट करना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हिंदू समाज को एकजुट करने की जरूरत है, क्योंकि हिंदू इस देश के समाज के लिए जिम्मेदार हैं।

क्या कहा था मोहन भागवत ने ?

मोहन भागवत ने कहा कि भारत का स्वभाव विशेष और अलग है। जो लोग भारत की इस प्रकृति को नहीं समझे, उन्होंने अपना अलग देश (पाकिस्तान) बना लिया। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग पाकिस्तान नहीं गए, वे सभी भारत के स्वभाव को स्वीकार करने वाले थे। भारत का यह स्वभाव न तो आज का है और न ही 15 अगस्त 1947 से जुड़ा है, बल्कि यह उससे कहीं पुराना है। भागवत ने यह भी कहा कि दुनिया अब यह समझ चुकी है कि हिंदू हमेशा विविधता को अपनाकर आगे बढ़े हैं। उन्होंने बताया कि जब दुनिया के इतिहास ने इस भूभाग की ओर देखा, तो पाया कि यहां के लोगों में एक समान स्वभाव था, जो यह था कि हिंदू हमेशा दुनिया की विविधता को स्वीकार करते हुए अपना रास्ता तय करते हैं।

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