कोलकाता : सॉल्टलेक में गत 12 नवम्बर काे सड़क हादसे में 11 वर्षीय आयुष पाइक की मौत के बाद बसों द्वारा बेतरतीब तरीके से बसें चलाने को लेकर काफी हंगामा हुआ था। राज्य के परिवहन विभाग ने शहरी विकास विभाग व पुलिस के साथ मिलकर एक अहम बैठक भी की थी जिसमें बसों को संचालित करने वाले ऑपरेटरों से लेकर बस ड्राइवरों, कंडक्टरों व इससे जुड़े सभी हितधारकों के लिए एक गाइडलाइन तैयार करने की बात कही गयी थी ताकि बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण लगाया जा सके। उक्त सड़क हादसे के एक महीने पूरे होने को हैं और इस बीच, परिवहन विभाग के प्रधान सचिव डॉ. सौमित्र मोहन द्वारा गाइडलाइन जारी की गयी है। बस संचालकों व सभी हितधारकों को ये गाइडलाइन मानना जरूरी होगा और ऐसा ना करने पर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। गाइडलाइन के तहत, सभी कॉमर्शियल वाहनों के ड्राइवरों व कंडक्टरों को रिफ्रेशर कोर्स में शामिल होना आवश्यक होगा जो 3 साल में एक बार किया जाएगा। ड्राइवरों व कंडक्टरों के ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूअल के समय ये रिफ्रेशर सर्टिफिकेट जमा देना होगा। इसे जमा नहीं देने पर लाइसेंस होल्डर को रिन्यूअल के समय कंपिटेंसी टेस्ट देना होगा। परिवहन विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि वाहन मालिकों को अपने ड्राइवरों व कंडक्टरों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक करना होगा। किसी भी ड्राइवर अथवा कंडक्टर को बस चलाने का जिम्मा देने से पहले उनके बैकग्राउंड और ड्राइविंग ट्रैक रिकॉर्ड के बारे में वेरिफाई करना होगा। ऑपरेटिंग क्रू के लिए कमीशन आधारित सिस्टम के बजाय सामूहिक परिवहन ऑपरेटरों को वैकल्पिक इंसेंटिव मेकेनिज्म पर जोर देना होगा।
बसों में शिकायत रजिस्टर रखना होगा जिसमें यात्रियों द्वारा शिकायतें लिखी जा सकेंगी। बसों में टाइम टेबल, रूट व किराये का चार्ट डिसप्ले करना होगा। इसके अलावा बस ड्राइवरों व कंडक्टरों के लाइसेंस की लैमिनेटेड फोटो कॉपी भी बसों में डिसप्ले करनी होगी।
बस ड्राइवरों के लिए गाइडलाइन : यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गति, यात्रियों से दुर्व्यवहार जैसी चीजें नहीं करनी होंगी। गति नियंत्रण पर हर समय ध्यान देना होगा। ड्राइवरों को रूट की शुरुआत से पहले ईंधन का स्तर, कूलेंट, ब्रेक ऑयल, टायरों की हालत और स्टीयरिंग फंक्शन चेक करना हाेगा।
बसों/ट्रांसपोर्ट वाहनों की पार्किंग : निर्धारित पार्किंग प्लेस के बजाय सड़क पर कहीं वाहनों की पार्किंग नहीं की जा सकेगी। बसों की पार्किंग भी निर्धारित इलाकों में करनी होगी। निर्धारित बस स्टॉप पर ही वाहनों को बायीं ओर रखना होगा। कोई बस निर्धारित बस स्टॉप/डिपो से 30 मीटर से अधिक दूरी से यात्रियों को ना चढ़ा सकती है, ना ही उतार सकती है। पैसेंजर ह्वीकल्स को पूरी तरह बायीं लेन में चलाना होगा और बाकी लेन दूसरे वाहनों के लिए खाली रखने होंगे। खराब मौसम जैसे कि बारिश, कुहासे अथवा दूसरे समय में ध्यान से व कम गति में बसें चलानी होंगी। हेडलाइट/इंडिकेटर का इस्तेमाल आवश्यक होगा और इसके लिए सुरक्षित दूरी बनाकर रखनी होगी।
वर्किंग आवर्स पर देना होगा ध्यान : तय वर्किंग आवर्स से अधिक समय के लिए वाहनों के ड्राइवरों को वाहन चलाने की अनुमति नहीं होगी। थकान से बचने के लिए ड्राइवरों को पर्याप्त समय विश्राम करना होगा। ड्राइविंग के समय थका हुआ अथवा ठीक महसूस ना करने पर वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी।
किया जाएगा रैंडम ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट
बच्चों, महिलाओं व बुजुर्गों की विशेष तौर पर बसों से चढ़ने व उतरने में मदद करनी होगी। प्रत्येक बस में रूट व टाइम टेबल डिसप्ले करने के साथ ही उन्हें मानना होगा। बसों में अत्यधिक भीड़ रोकने के लिए खड़े यात्रियों को सही ढंग से खड़ा करना होगा। अपनी ड्यूटी चालू करने से पहले बस ड्राइवराें व कंडक्टरों के लिए ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट आवश्यक होगा। दिन के समय भी रैंडम ब्रेथ एनालाइजर चेक किये जाएंगे।