कोलकाता : बड़ाबाजार के मछुआ बाजार इलाके में स्थित एक होटल में लगी आग की भयावहता का पता इसी चलता है कि करीब एक दर्जन लोग खिड़की के छज्जे पर खड़े होकर जान बचाने की गुहार लगा रहे थे। इस दौरान वहां पर लोगों की जान पर बन आयी थी। नीचे खड़े लोग लगातार शोर मचाकर लोगों का धैर्य बढ़ाने के साथ संयम बरतने की अपील कर रहे थे। पुलिस की ओर से भी माइकिंग कर लोगों को छलांग नहीं लगाने की नसीहत दी जा रही थी। पुलिस लोगों से लगातार धैर्य रखने के लिए कह रही थी। इसी का नतीजा था कि एक दर्जन से अधिक लोगों को सुरक्षित होटल से बाहर निकाल लिया गया।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार मंगलवार की रात 8 बजे ऋतुराज होटल में अचानक आग लग गयी। स्थानीय लोगों के अनुसार आग होटल के पहले तल्ले पर लगी थी जो जल्दी ही फैल गयी। इसके कारण होटल के सभी फ्लोर पर काला धुआं भर गया। इस बीच होटल के विभिन्न तल्ले के कमरों में ठहरे हुए लोग धुएं के कारण आतंकित हो गये। होटल के पांचवें तल्ले के कमरे में ठहरे महिला और पुरुषों ने मकान की छत पर भागकर जान बचाने की कोशिश की। वहां पर करीब डेढ़ घंटे तक वे लोग खड़े रहे और धुएं के बीच अपने मोबाइल की टार्च जलाकर पुलिस और स्थानीय लोगों से अपनी जान बचाने की गुहार लगाते रहे। इसके अलावा चौथे तल्ले के कमरे में फंसे 8 लोगों ने अपने कमरे की खिड़की के बाहर छज्जे पर खड़े होकर जान बचाने की कोशिश की। इस दौरान दूसरे तल्ले से एक व्यक्ति ने आग के आतंक के कारण जान बचाने के लिए छलांग लगा दी। हादसे में उसके सिर और चेहरे में गंंभीर चोट आयी। घायल व्यक्ति को उद्धार कर अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। करीब एक घंटे तक मकान की छत पर फंसे लोगों की गुहार को देखते हुए दमकल विभाग ने घटनास्थल पर हाइड्रोलिक लैडर मंगाकर लोगों को उद्धार करने का काम शुरू किया। पहले दो लोगों को छत से नीचे उतारा गया। इसके बाद कुछ महिलाएं और पुरुषों को बगल के मकान की छत पर उतारकर उद्धार किया गया। आग के धुएं के कारण दमकल कर्मियों को होटल के अंदर प्रवेश करने में दिक्कतें आयीं। झारखंड से आये कुमार अभिषेक ने बताया कि वह सोमवार की सुबह कोलकाता इलाज के लिए आये थे। वह अपने दोस्त रितेश कुमार के साथ ऋतुराज होटल के कमरा नंबर 417 में ठहरे थे। मंगलवार की रात 9.30 बजे उनकी हावड़ा से ट्रेन थी। इस बीच रात 8 बजेे कमरे में कुछ जलने की दुर्गंध आयी। बाहर निकलने पर उन्होंने देखा कि पूरे कॉरिडोर में धुआं भर गया है। सीढ़ी में कुछ दिख नहीं रहा है। ऐसे में खिड़की खोलकर छज्जे पर खड़े हो गये। करीब 45 मिनट तक इंतजार करने के बाद उन्हें उद्धार किया गया।