सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : भारत में डक्टाइल आयरन पाइप निर्माण की अग्रणी कंपनी और वैश्विक जल अवसंरचना की अगुवा इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग्स लिमिटेड ने अपने प्रमुख अभियान जल सेवक सम्मान (जेएसएस) के तीसरे संस्करण की घोषणा की। इस वर्ष यह पहल पश्चिम बंगाल के साथ-साथ बिहार, झारखंड और ओडिशा जैसे पूर्व भारतीय राज्यों को भी शामिल करते हुए अपने दायरे को और विस्तारित कर रही है। इस अवसर पर इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग्स लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और पूर्णकालिक निदेशक सुनील कटियाल, पूर्णकालिक निदेशक राधा केजरीवाल अग्रवाल और पूर्णकालिक निदेशक नित्यान्गी केजरीवाल जयसवाल उपस्थित रहीं। जल सेवक सम्मान 2025 का आयोजन 31 अगस्त 2025 को होगा। इस पहल को सार्थक रूप देने के लिए चारों राज्यों में स्थानीय प्रशासन, एनजीओ, सिविल सोसाइटी संगठनों, स्टेट वॉटर मिशन और ज़मीनी नेटवर्क्स के सहयोग से एक संगठित नामांकन प्रक्रिया चलाई गई। परिणामस्वरूप, यह अभियान को कुल 68 नामांकन प्राप्त हुए, जिनमें वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण, नदी पुनर्जीवन, पारंपरिक जल ज्ञान, सतत् सिंचाई और दूरस्थ समुदायों में जल पहुंच को बेहतर बनाने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के कार्य को मान्यता दी गई है। इन नामांकनों की समीक्षा एक प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल द्वारा की जाएगी जिसमें जूलॉजिकल सर्वे ओफ इंडिया की निदेशक डॉ. धृति बनर्जी, पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. कल्याण रूद्र, सेवानिवृत्त आईपीएस सौमेन मित्रा और इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग्स लिमिटेड के सीईओ और पूर्णकालिक निदेशक सुनील कटियाल शामिल हैं। इस वर्ष एक और महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत होगी जल मंथन, जो सतत् जल प्रबंधन पर गंभीर संवाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित होगा। इस शिखर सम्मेलन में दो प्रमुख सत्र होंगे जल प्रवाह और टेड स्टाइल टॉक-जल वाणी। इन सत्रों में प्रमुख वक्ता डॉ. मिहिर शाह, पूर्व सदस्य, योजना आयोग एवं राष्ट्रीय जल नीति 2021 के अध्यक्ष, रंजन के पांडा, ओडिशा के जल पुरुष एवं जलवायु योद्धा, डॉ. कल्याण रूद्र, अध्यक्ष, पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उद्धव केजरीवाल, पूर्णकालिक निदेशक, इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग्स लिमिटेड, श्रीमती प्रियम बुधिया, जल संरक्षण एवं स्थायित्व की समर्थक, श्रीमती ज्योति शर्मा, संस्थापक, फोर्स होंगे। इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग्स लिमिटेड की पूर्णकालिक निदेशक राधा केजरीवाल अग्रवाल ने कहा, “जल सेवक सम्मान केवल एक पुरस्कार नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन है। यह पहल न सिर्फ़ ज़मीनी जल नायकों को पहचान देती है, बल्कि भारत में जल सुरक्षा और सतत् विकास पर सार्थक और क्रियाशील संवाद को भी आगे बढ़ाती है।