कोलकाता : महानगर में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में डिप्टी डायरेक्टर रैंक के एक युवा अधिकारी को कथित तौर पर चार दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर साइबर अपराधियों ने उनसे 25 लाख रुपये ठग लिये। इन अपराधियों ने अधिकारी पर कूरियर के जरिए प्रतिबंधित दवाओं की तस्करी करने का आरोप लगाया गया। यह घटना पिछले रविवार (18 मई) को तब शुरू हुई जब बेहला के पर्णश्री निवासी 29 वर्षीय अधिकारी को एक व्यक्ति ने कॉल किया और खुद को कूरियर कंपनी का कर्मचारी होने का दावा किया। कॉल करने वाले ने अधिकारी के आधार नंबर का हवाला दिया और दावा किया कि मुंबई में उनके नाम से एक संदिग्ध पार्सल जब्त किया गया था, जिसमें अन्य चीजों के अलावा एमडीएमए नारकोटिक ड्रग्स थे। इसके तुरंत बाद उन्हें एक और कॉल आया, जिसने खुद को मुंबई साइबर क्राइम अधिकारी के रूप में पेश किया और दावा किया कि उनके आधार क्रेडेंशियल ड्रग्स तस्करी के लिए अवैध धन लेनदेन में शामिल थे और सीबीआई भी मामले की जांच कर रहा है। गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर साइबर ठगों ने उन्हें जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया। पुलिस के अनुसार, जालसाजों के निर्देश पर डरा हुआ अधिकारी 19 मई को पार्क स्ट्रीट के एक अपार्टमेंट होटल में रुका और 22 मई तक वहीं रहा। इस दौरान जालसाजों ने लगातार फोन संपर्क बनाए रखा, वीडियो कॉल पर मौजूदगी और कई ठगों के साथ वीडियो बातचीत के दौरान, जिन्होंने उसे वेरीफिकेशन के लिए रुपये ट्रांसफर करने का निर्देश दिया। उसने अंततः दो बैंक खातों से सात किस्तों में 25 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिये। एक अधिकारी ने कहा, ‘उसे बताया गया कि आरबीआई द्वारा रुपये के सफल वेरीफिकेशन के बाद राशि उसके बैंक खाते में वापस कर दी जाएगी। जब साइबर ठगों ने और रुपये की मांग की और अधिकारी ने वित्तीय मदद के लिए दोस्तों से संपर्क करने की कोशिश की, तो उसे एहसास हुआ कि उसके साथ धोखा हो रहा है। वह आखिरकार होटल से निकल गया और 23 मई को पर्णश्री पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करायी। मामले की जांच करते हुए, पुलिस ने धोखाधड़ी, प्रतिरूपण और आपराधिक साजिश से निपटने वाले बीएनएस धारा 318 (4), 319 (2) और 61 (2) के तहत मामला शुरू किया। इस मामले में अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।