सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : सीजीएसटी विभाग को एक बड़ी सफलता मिली है जब अधिकारियों ने लोहापट्टी में एक व्यवसायी को 28 करोड़ रुपये जीएसटी चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी एक छापेमारी के दौरान की गई, जिसमें व्यवसायी द्वारा किए गए फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से जीएसटी विभाग को धोखा देने का खुलासा हुआ। सूत्रों के अनुसार, आरोपी ने पिछले दो सालों में तीन विभिन्न कंपनियों के माध्यम से यह धोखाधड़ी की। इन कंपनियों के जरिए उसने विभिन्न व्यापारिक लेन-देन दिखाकर, लेकिन वास्तविक रूप में कोई सामान बेचे बिना, फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे।
315 मैट्रिक टन स्टॉक फर्जी तौर पर दिखाया था
यह दस्तावेज जीएसटी विभाग को यह दिखाने के लिए बनाए गए थे कि उसने बड़ी मात्रा में लोहे का स्टॉक खरीदा और बेचा है, ताकि वह इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठा सके। जब सीजीएसटी विभाग की टीम आरोपी के कार्यालय में छापेमारी करने पहुंची, तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। इसमें पाया गया कि गोडाउन तो है ही नहीं। इसके अलावा जिन 315 मैट्रिक टन स्टॉक का उल्लेख किया गया था, वह पूरी तरह से फर्जी था। अधिकारी जब कार्यालय पहुंचे तो वहां न तो कोई ट्रांसपोर्ट बिल मिला और न ही वहां कोई फिजिकल स्टॉक था। इससे यह साबित हुआ कि वास्तविकता में किसी भी प्रकार का व्यापारिक लेन-देन हुआ ही नहीं था, और सारी गतिविधियां केवल इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के लिए की गई थीं।
कई और हैं निशाने पर
सूत्रों ने बताया कि व्यवसायी ने अपने दस्तावेजों में फर्जी तरीके से दिखाया था कि उसने विभिन्न माल की खरीदारी की और उसे अपने ग्राहकों तक भेजा, जबकि असल में ऐसा कोई लेन-देन हुआ ही नहीं था। इस मामले में कई और लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इस धोखाधड़ी के द्वारा उसने जीएसटी विभाग को लगभग 28 करोड़ रुपये का चूना लगाया था। छापेमारी के दौरान विभाग को आरोपी के पास से कई ठोस सबूत मिले, जिससे यह साफ हुआ कि उसकी सारी कार्रवाई एक योजनाबद्ध धोखाधड़ी का हिस्सा थीं। इसके बाद, आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। मामले की आगे की जांच जारी है, और विभाग इस प्रकार के और भी अपराधों का पर्दाफाश करने के लिए अपने प्रयासों को तेज कर रहा है। जीएसटी विभाग ने चेतावनी दी है कि वह ऐसे मामलों में सख्ती से कार्रवाई करेगा और किसी भी प्रकार की कर चोरी को सहन नहीं करेगा।