सांसद अभिषेक बनर्जी बिष्‍णुपुर के सेवाश्रय कैंप का निरीक्षण करते हुए  
कोलकाता सिटी

सांसद अभिषेक बनर्जी ने बिष्णुपुर में ‘सेवाश्रय-2’ शिविर का निरीक्षण किया

कोलकाता : जनसेवा और मानवीय संवेदनाओं को केंद्र में रखकर संचालित ‘सेवाश्रय-2’ कार्यक्रम के 27 वें दिन यानी सोमवार को बिष्णुपुर मॉडल कैंप में एक विशेष दृश्य देखने को मिला, जब इस जनकल्याणकारी पहल के सूत्रधार, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव एवं डायमंड हार्बर के सांसद अभिषेक बनर्जी स्वयं शिविर के निरीक्षण के लिए पहुंचे। उनकी उपस्थिति से शिविर में मौजूद लाभार्थियों और स्वयंसेवकों में उत्साह का माहौल बना रहा। निरीक्षण के दौरान सांसद अभिषेक ने दिव्यांगजनों को व्हीलचेयर सौंपकर न केवल उन्हें शारीरिक सहारा दिया, बल्कि उनके जीवन में आत्मविश्वास, गतिशीलता और नई आशा का संचार भी किया। उन्होंने लाभार्थियों से सीधे संवाद करते हुए उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, जरूरतों और अनुभवों को गंभीरता से सुना और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस अवसर पर अभिषेक बनर्जी ने बंगाल की महान परंपरा और उसके मनीषियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने मदर टेरेसा, महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, ऋषि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर, काजी नजरुल इस्लाम, राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, नेताजी सुभाषचंद्र बोस और श्रीरामकृष्ण परमहंस के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके आदर्शों और शाश्वत मूल्यों के प्रति गहरी श्रद्धा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इन महापुरुषों की विचारधारा आज भी समाज को मानवीयता, सेवा और समानता का मार्ग दिखाती है । सांसद ने शिविर की व्यवस्थाओं, चिकित्सा सेवाओं, दवाइयों की उपलब्धता और पंजीकरण प्रक्रिया का भी जायजा लिया। उन्होंने स्वयंसेवकों और चिकित्सकों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सेवाश्रय जैसे कार्यक्रम शासन और समाज के बीच सेतु का कार्य करते हैं। यह पहल इस बात का प्रमाण है कि जब प्रशासन सेवा, करुणा और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ कार्य करता है, तभी उसका वास्तविक उद्देश्य पूरा होता है। ‘सेवाश्रय-2’ कार्यक्रम समाज के सबसे कमजोर और वंचित वर्गों तक स्वास्थ्य सुविधाएं, सहायता उपकरण और सम्मानजनक जीवन का अवसर पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। बिष्णुपुर मॉडल कैंप में अभिषेक बनर्जी का यह दौरा इस संकल्प को और मजबूत करता है कि जनसेवा केवल नीतियों तक सीमित न रहे, बल्कि धरातल पर ठोस कार्यों के रूप में दिखाई दे।

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