सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : सॉल्ट लेक लोक संस्कृति द्वारा पिछले दो दशकों से ज्यादा समय से प्रति वर्ष आयोजित किये जाने वाले राजस्थानी मेले में, इस वर्ष अब एक ही दिन और शेष रह गया है। इस वर्ष जिन लोगों ने अब तक मेले का आनंद नहीं लिया था,वे सब लोग अब आ रहे हैं क्योंकि उन्हें भी इस बात का एहसास है कि अन्यथा इस मेले के लिए पूरे एक वर्ष की प्रतीक्षा करनी होगी।
मेला परिसर में उमड़ी भीड़ को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि कोलकातावासी अंग्रेजी नए वर्ष का स्वागत करने के लिये दो दिन पहले से ही उत्सव मनाने का मन बना चुके हैं ।
गुलाबी ठंडक और छुट्टी के से माहौल में राजस्थानी मेले का आनंद लेने मेला परिसर में लोगों का भारी जमावड़ा लगा हुआ था। पिछले छः दिनों की ही तरह मंच पर आज के आमंत्रित अतिथियों का पारंपरिक राजस्थानी पगड़ी और दुपट्टा पहनाकर अभिनंदन किया गया। मेला में पधारे अतिथियों का संस्था के अध्यक्ष संदीप गर्ग,विश्वनाथ चांडक,महेंद्र कुमार अग्रवाल, पवन भुवानिया, किशन भट्टड़,प्रदीप लुहारीवाला,दिलीप अग्रवाल,राहुल खन्ना,नन्द कुमार लढ़ा, दर्शना गर्ग, संजू अग्रवाल,आभा पांडे व अन्य सदस्यों ने आदरपूर्वक स्वागत किया।सरावगी उद्योग के रमेश सरावगी एवं अनिल सरावगी, हेरिटेज स्कूल के सीईओ प्रदीप अग्रवाल,सुभाष मुरारका, गोविंद शारडा,सुरेश झंवर, नरेंद्र डागा,मनमोहन बागड़ी, बंशीधर शर्मा,मनोज जैन, अजय पाटोदिया, राजकुमार अग्रवाल, शंकर कारीवाल, पूर्वांचल नागरिक समिति के अध्यक्ष प्रदीप संघई के साथ संस्था के सभी पदाधिकारीगण,डॉ सुमित खाटोड, राजकुमार कोठारी, संजय आर्या,महावीर बजाज, नरेंद्र गर्ग,निरंजन जैन, रमेश नांगलिया,बसंत सेठिया,रेणु कासट, श्रेया एवं श्रेयस गर्ग,एस के अग्रवाल,सुशील हीरावत,बृज मोहन तापड़िया,धर्मेंद्र डागा,दिनेश मस्करा के साथ ही कई गणमान्य नागरिकों ने मेला में आकर मेले की शोभा बढ़ाई।
विशाल मेला प्रांगण में चारों ओर अलग अलग कार्यक्रमों में लोग मशगूल दिखे। कुबेर का खजाना में छोटे बड़े सभी अपना भाग्य आजमाने में लगे थे। संस्था के सदस्य अशोक दम्मानी एवं युवा समिति के सदस्य गौतम मोहता ने बताया कि छोटे छोटे बच्चों को कठपुतली का नाच एवं मरुभूमि की याद दिलाता बालू का टीला बहुत आकर्षित कर रहा है।अभिभावकों के कई दफा कहने के बावज़ूद बच्चे वहाँ से हटना नहीं चाहते हैँ।
संस्था के वरिष्ठ सदस्य बृज मोहन बेरीवाल की पहल पर मेले के आठों दिनों के लिए पूर्वांचल नागरिक समिति की ओर से एम्बुलेंस एवं प्राथमिक चिकित्सा केंद्र की व्यवस्था करवाई गई ताकि किसी भी अतिथि के साथ दुर्भाग्यवश अप्रत्याशित दुर्घटना हो जाने की स्थिति में तुरंत शुरुआती इलाज़ प्रारम्भ की जा सकती है।
मेला परिसर में अतिथियों के सामने ही ताजा बिलोया सादा मक्खन और बाजरे की रोटी जिस स्टॉल में उपलब्ध है वहां लोगों की लंबी लंबी कतारें इसकी लोकप्रियता खुद बयान करती हैं।किशन राठी ने बताया कि मेला के पहले दिन से ही इस स्टोल में ऐसी ही भीड़ लगी हुई है ।
मंच पर लूरिया गायिका शुभश्री सरकार ने अपनी मीठी आवाज़ और उत्साह भरे अंदाज से घंटों ही अपनी जादुई गायकी से श्रोताओं का मनोरंजन किया। उनके गाय गानों पर श्रोतागण मस्ती में देर रात तक झूमे।
संस्था के जनसंपर्क अधिकारी गंगादास मोहता,उत्साह,उमंग एवं अपने सकारात्मक विचारों को कार्यकारी समिति के सभी सदस्यों में रोज़ाना प्रसारित कर उनका जोश एवं मनोबल बढ़ाते रहते हैं जिसका जादुई असर कार्यकर्ताओं में होता है।
हर मेले की जान खानपान की व्यवस्था एवं व्यंजनों के जायके पर बहुत आश्रित होती है। संस्था के कोषाध्यक्ष राजकुमार मूंधड़ा ने बताया कि संस्था के सक्रिय सदस्य इंद्र कुमार डागा की अग़ुवाई में संस्था ने इस विषय पर विशेष ध्यान दिया है एवं फलस्वरूप संस्था के द्वारा उठाए गए कदमों का सकारात्मक असर अतिथियों के संतुष्ट एवं तृप्त चेहरों पर स्पष्ट रूप से दिख रहा है। विशाल क्षेत्रफल में बनाए गए इस फूड कोर्ट में दक्षिण भारतीय व्यंजन,पिज़्ज़ा,उत्तर भारतीय व्यंजन, मंगोलियन एवं कई प्रकार के चाट उपलब्ध हैं। मीठा के शौकीन लोगों के लिए गुलाब जामुन, गरम केसरिया जलेबी,गाजर का हलवा एवं पेस्ट्री ज्यादा लोकप्रिय हैं। शीतल पेय,गरम केसरिया चाय एवं कॉफी भी उपलब्ध हैं।अतिथियों इस बात से बहुत प्रसन्न हैं कि सभी प्रकार के व्यंजनों का ज़ायका काबिले तारीफ है।
चोखी ढाणी में लोगों की विशेष रूचि साफ देखी जा सकती थी।संस्था के संस्थापक मदन गोपाल राठी के नेतृत्व में प्रेम झंवर, मनीष चांडक, संजय सुरेका,नेहा राठी, शुभम चांडक,दिनेश राठी, कनक सोमानी, सुचिता भट्टड़,मनीषा अग्रवाल एवं अन्य सदस्यगण चोखी ढाणी में व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से वहीं मौज़ूद थे।
मेला के संयोजकगण किशोर कुमार शर्मा, राहुल खन्ना एवं संदीप डिडवानिया ने कई चुनौतियों का सामना कर बहुत ही कम समय में इतनी बड़ी जगह को,(जो कि पहली बार मेले के लिए ली गई है),मेला के अनुरूप सजवाने में सफलता पाई है। उनका कहना है कि मेले में आए अतिथियों के खिले हुए चेहरों को देख कर सुकून मिलता है और लगता है कि इनका परिश्रम व्यर्थ नहीं हुआ।मेला परिसर में माहौल बहुत ही खुशगवार था और लग रहा था कि लोग रोज़मर्रा की चुनौतियों को मानो कुछ देर के लिए बिल्कुल भूल से गये हैं।
संस्था के सचिव कमलेश केजरीवाल ने कहा कि संस्था के लिए इस वर्ष मेले को नए परिसर में आयोजन करना एक उपलब्धि मात्र नहीं है,बल्कि यह एहसास भावनात्मक सतह पर ज़ेहन को सुकून भी देता है कि समाज में अपनी कला एवं संस्कृति के प्रति जागरूकता एवं जुड़ाव लाने के इस पहल एवं प्रयास को समाज ने पिछले तेईस वर्षो में न सिर्फ स्वीकारा बल्कि अपने स्नेह और प्यार से निरंतर प्रोत्साहित भी किया है।