जमशेदपुर : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व सीएम रघुबर दास ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच कर रहे सीबीआई से झारखंड में इसी तरह के घोटाले की जांच करने का आग्रह किया और दावा किया कि दोनों घोटाले आपस में जुड़े हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड का शराब घोटाला, पहले जितना बताया गया था उससे कहीं अधिक बड़ा है। घोटाले का आकार 100 करोड़ रुपये नहीं है, जैसा कि बताया गया था, बल्कि इसके 600-700 करोड़ रुपये से अधिक का होने का संदेह है।
रघुबर ने कहा, छत्तीसगढ़ सरकार पहले ही वहां शराब घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर चुकी है। मैं एजेंसी से झारखंड में इसी तरह के घोटाले की जांच करने की अपील करता हूं, क्योंकि दोनों घोटाले आपस में जुड़े हुए हैं।
दास ने 32 विधायकों की ‘फंडिंग’ की भी सीबीआई जांच की मांग की, जिन्हें 22 अगस्त से 31 अगस्त, 2022 तक छत्तीसगढ़ भेजकर एक आलीशान होटल में ठहराया गया था। उन्होंने कहा, राज्य के लोग जानना चाहते हैं कि उनकी यात्रा और ठहरने का भुगतान तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार ने किया था या शराब माफिया ने।
पूर्व सीएम ने कहा कि उनकी सरकार की आबकारी नीति से 2018-19 में 1,082 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था, जो 2019-20 में करीब दोगुना होकर 2,009 करोड़ रुपये हो गया।
उन्होंने आरोप लगाया, इसके अलावा हमारी सरकार ने राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके विपरीत, नयी आबकारी नीति 2025 इन क्षेत्रों में अधिक शराब की दुकानें खोलने को मंजूरी देती है। यह कदम युवा पीढ़ी को नशे की ओर धकेल रहा है।
सत्तारूढ़ दल पर कटाक्ष करते हुए दास ने कहा, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता और झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन शराब के खिलाफ अभियान चलाते थे। अब उनके बेटे इसे बढ़ावा दे रहे हैं। यह बेहद खेदजनक है।