रांची : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को शिबू सोरेन की तुलना आदिवासी नेता भगवान बिरसा मुंडा से की और कहा कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपना जीवन गरीबों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया।
सिंह, झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, सांसद पप्पू यादव, भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और योग गुरु बाबा रामदेव सहित अन्य लोग सोरेन के श्राद्ध कर्म में शामिल होने के लिए राज्य की राजधानी रांची से लगभग 70 किलोमीटर दूर नेमरा गए।
सिंह ने कहा, जहां तक मैंने उन्हें जाना है, वह सरल स्वभाव के थे। बिरसा मुंडा के बाद अगर किसी योद्धा ने आदिवासी समुदाय में जन्म लिया है, तो वह ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन थे। उनकी क्षति अपूरणीय है। वह बहुत सरल थे। उन्होंने अपना जीवन गरीबों के लिए समर्पित कर दिया। मैं केंद्र और अपनी पार्टी की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि देने आया हूं।
शिबू सोरेन के बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सिर मुंडवा रखा था और आदिवासी धोती-कुर्ता पहने तथा कंधे पर गमछा डाले श्राद्ध कर्म करते नजर आए। इस मौके पर सभी वर्गों के लोग उपस्थित थे।
झारखंड के मुख्यमंत्री ने राजनाथ सिंह, रेवंत रेड्डी और अन्य लोगों से मुलाकात की। उन्होंने आम लोगों का अभिवादन किया और भोजन व्यवस्था का निरीक्षण किया। उनके बेटों और भाई बसंत ने भी भी मुंडन करवाया था। इस दौरान व्हीलचेयर पर बैठी उनकी मां रूपी सोरेन और पत्नी कल्पना भी मौजूद थीं।
राजनाथ और बाबा रामदेव ने रूपी सोरेन के पैर छुए, जिन्होंने उन्हें आशीर्वाद दिया। चौबे ने कहा कि झारखंड के जंगलों से संसद तक का शिबू सोरेन का सफर अविश्वसनीय था।
शिबू सोरेन (81) का दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया था। उनके निधन से उस राजनीतिक युग का अंत हो गया, जिसमें आदिवासी आंदोलन राष्ट्रीय स्तर पर उभरा और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सह-संस्थापक ने झारखंड के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।