खूंटी : झारखंड के खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड स्थित पेलोल गांव के 30 से अधिक ग्रामीणों ने एक पुल की मरम्मत में 2 महीने की देरी को लेकर अनूठे तरीके से विरोध जताया। उन्होंने पुल टूटने के 2 महीने पूरे होने के प्रतीक के तौर पर मंगलवार को 2 पाउंड का केक काटा।
यह पुल बनई नदी पर स्थित है, जो खूंटी-तोर्पा-कोलेबीरा सड़क पर राज्य की राजधानी रांची से करीब 50 किलोमीटर दूर है। मानसून के दौरान भारी बारिश के कारण 19 जून को यह पुल ढह गया था।
पुल के मरम्मत कार्य में प्रगति नहीं होने से नाराज ग्रामीणों ने यह सांकेतिक विरोध जताया। उनका कहना है कि पुल के टूटने से उन्हें, विशेषकर स्कूल जाने वाले बच्चों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
मुरहू प्रखंड के सामाजिक कार्यकर्ता बा सिंह हासा ने कहा, 2 महीने बीत चुके हैं, लेकिन न तो मरम्मत कार्य शुरू हुआ है और न ही कोई अस्थायी वैकल्पिक मार्ग बनाया गया है।
पेलोल ग्राम प्रधान शंकर तिर्की ने बताया कि प्रशासन की कार्रवाई से बचने के लिए ग्रामीणों ने शांतिपूर्ण और सांकेतिक विरोध करने का रास्ता चुना। उन्होंने कहा, हमने परंपरागत सड़क जाम के बजाय एक रचनात्मक और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना बेहतर समझा।
यह मुद्दा जून में सुर्खियों में आया था, जब एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया जिसमें स्कूली बच्चे 25 फुट ऊंची बांस की सीढ़ी चढ़कर स्कूल जाते दिखे थे। इसके बाद प्रशासन ने हस्तक्षेप करते हुए शीघ्र वैकल्पिक व्यवस्था का आश्वासन दिया था। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि अब तक कोई ठोस कार्य नहीं हुआ है।
ग्राम प्रधान तिर्की ने कहा, सरकार की ओर से इस अहम बुनियादी ढांचे को बहाल नहीं करने से हमारे बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा दोनों खतरे में पड़ गई है। यह पुल खूंटी और सिमडेगा जिलों को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग है और वर्तमान में कोई वैकल्पिक रास्ता मौजूद नहीं है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि स्थानीय विधायक राम सूर्या मुंडा (झामुमो) समेत कई राजनीतिक द्वारा दौरा करने और पुल निर्माण का शिलान्यास करने के बावजूद कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है।
खूंटी के उप विकास आयुक्त (डीडीसी) आलोक कुमार दुबे ने कहा कि निर्माण कार्य मानसून के बाद शुरू होगा। बारिश के दौरान निर्माण कार्य कर पाना संभव नहीं है। पुल के गिरने के बाद तकनीकी रिपोर्ट त्वरित रूप से पथ निर्माण विभाग को भेज दी गई थी। हमें विश्वास है कि आवश्यक स्वीकृतियां प्राप्त हो गई हैं, और कार्य मानसून के बाद प्रारंभ होगा। हम ग्रामीणों की समस्याओं के प्रति पूरी तरह संवेदनशील हैं।