मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 फीसदी आरक्षण के साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है।
देवेंद्र फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही 6 मई को निर्देश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनाव, 2017 के ओबीसी आरक्षण के अनुसार कराए जाएं। इस निर्देश की सोमवार को फिर से पुष्टि की गई। अब आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में संपूर्ण ओबीसी आरक्षण लागू होगा।’ उन्होंने आगे कहा कि 2022 में बनाए गए वार्ड परिसीमन कानून को रद्द कर दिया गया है। मंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता छगन भुजबल ने स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली और 2022 से पहले की वार्ड संरचनाओं को फिर से लागू करने के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण को लागू करने में आने वाली महत्वपूर्ण बाधाओं को दूर कर दिया है।’ भुजबल ने मीडिया से कहा कि कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के विरोध वाली और 2022 से पहले की वार्ड संरचना को फिर से लागू करने के अनुरोध वाली याचिकाओं सहित कई याचिकाओं को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि ये याचिकाएं उन लोगों द्वारा दायर की गयीं थीं, जो यह तर्क दे रहे थे कि ओबीसी आरक्षण को सही ठहराने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं, और 2022 से पहले की वार्ड संरचनाओं को फिर से लागू किया जाना चाहिए। भुजबल ने कहा, ‘कुछ याचिकाकर्ताओं ने ओबीसी आरक्षण के खिलाफ तर्क दिया था और दावा किया था कि ओबीसी के लिए पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। परिणामस्वरूप, स्थानीय निकायों में आरक्षण को समाप्त करने का अनुरोध किया था।’ उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, 91 स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कराए गए। राज्य के मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को आवश्यक न्यायोचित आंकड़े उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। हालांकि, निरगुडे आयोग द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘इसके जवाब में हमने अधिक सटीक आंकड़े जुटाने के लिए बांठिया आयोग का गठन किया। बांठिया आयोग के प्रयासों के बावजूद एकत्र किए गए आंकड़े त्रुटिपूर्ण थे, जिसके कारण कई क्षेत्रों में ओबीसी प्रतिनिधित्व में कमी आई।’ कुछ उदाहरण देते हुए भुजबल ने बताया कि ‘गायकवाड’ जैसे कुछ जाति नामों को गलत तरीके से कई समुदायों में शामिल किया गया था, जिससे कुछ इलाकों में आरक्षण का नुकसान हुआ। भुजबल ने कहा कि मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि चुनाव 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे। उन्होंने कहा, ‘ सुप्रीम कोर्ट ने पहले उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिनमें वार्ड परिसीमन को चुनौती देने और 2022 से पहले की वार्ड संरचनाओं के अनुसार चुनाव कराने का अनुरोध किया गया था, खासकर लातूर जिले की ओसा नगर परिषद के लिए।’ मंत्री ने कहा, ‘यह फैसला इस बात को मजबूत करता है कि चुनाव नए वार्ड/ मतदाता क्षेत्रों की सीमाओं के आधार पर होंगे, जिससे ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा। न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली एक और याचिका खारिज कर दी और मई 2025 के आदेश के अनुसार चुनाव कराए जाने की पुष्टि की, जिससे ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण सुरक्षित रहेगा।’ उन्होंने कहा कि कोर्ट ने यह भी पुष्टि की है कि वार्ड और निर्वाचन क्षेत्र का पुनर्गठन राज्य सरकार का विशेषाधिकार है।