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एकीकृत पेंशन योजना अधिसूचित की गयी है

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने हाल में एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को अधिसूचित किया है, जिससे न्यायिक अधिकारियों की चिंताओं का समाधान हो सकता है।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह के पीठ ने केंद्र के वकील की दलीलें सुनीं। एकीकृत पेंशन योजना नियोक्ता-आधारित पेंशन योजना है, जिसमें सामाजिक सुरक्षा को कर्मचारियों के कुल लाभ के हिस्से के रूप में गिना जाता है। केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए और पीठ को एकीकृत पेंशन योजना के बारे में जानकारी दी। यह मामला जिला न्यायपालिका के अधिकारियों के लिए नयी पेंशन योजना की प्रयोज्यता से संबंधित है। पीठ ने कहा, ‘अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि एकीकृत पेंशन योजना न्यायिक अधिकारियों समेत सभी कर्मचारियों की चिंताओं का समाधान कर सकती है।’ इसने कहा कि इसलिए कोर्ट ने यह उचित समझा कि मामले को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया जाए ताकि यह देखा जा सके कि एकीकृत पेंशन योजना किस प्रकार काम करती है और फिर संबंधित मुद्दों पर निर्णय लिया जा सके। मामले की सुनवाई 12 सप्ताह बाद होगी। यह मामला जिला न्यायपालिका के अधिकारियों और हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को पेंशन के वितरण पर चिंता को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट जिला न्यायपालिका के अधिकारियों के वेतन, बकाया और भत्तों से संबंधित मामले पर विचार कर रहा है। वित्त मंत्रालय ने 25 जनवरी को यूपीएस को अधिसूचित किया था और इसमें सेवानिवृत्ति से पहले अंतिम 12 महीनों के दौरान प्राप्त औसत मूल वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर पेंशन सुनिश्चित करने का वादा किया गया है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी राजपत्र अधिसूचना के अनुसार यूपीएस उन केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर लागू होगा जो राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के अंतर्गत आते हैं और इस प्रणाली के तहत विकल्प चुनते हैं। 25 जनवरी को प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार कर्मचारी के सेवा से हटाये जाने या बर्खास्त किये जाने या त्यागपत्र दिये जाने की स्थिति में यूपीएस या सुनिश्चित भुगतान उपलब्ध नहीं होगा। अधिसूचना 23 लाख सरकारी कर्मचारियों को यूपीएस और एनपीएस के बीच चयन करने का विकल्प प्रदान करती है। एनपीएस को एक जनवरी 2004 को लागू किया गया था।

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