विशेष संवाददाता
उखरुल (मणिपुर) : बुधवार को लगभग पांच दशकों के बाद एनएससीएन (आईएम) के प्रमुख टी मुवा अपने गांव उखरुल के सोमदल पहुंचे हैं। उन्हें लेकर यहां सरगर्मियां बढ़ गईं हैं।
एनएससीएन (आईएम) ने कहा – नगा ध्वज और संविधान अनमोल, समझौता असंभव
टी. मुइवा 50 साल बाद अपने पैतृक गांव सोमदल पहुंचे
वी.एस. अटेम ने मुइवा की ओर से पढ़ा संदेश
केंद्र और एनएससीएन (आईएम) के बीच 1997 से चल रही है शांति वार्ता
मेइती-कुकी संघर्ष की पृष्ठभूमि में दौरा महत्वपूर्ण
उखरुल में बुधवार को एक ऐतिहासिक क्षण उस समय बना जब एनएससीएन (आईएम) के वरिष्ठ नेता टी. मुइवा पांच दशक बाद अपने पैतृक गांव सोमदल पहुंचे। इस अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान, संगठन के एक अन्य वरिष्ठ नेता वी.एस. अटेम ने टी मुइवा की ओर से एक भावनात्मक लेकिन राजनीतिक रूप से सख्त बयान पढ़ा। उन्होंने स्पष्ट किया कि :
“नगा ध्वज और संविधान पर कोई समझौता संभव नहीं है।”
केंद्र सरकार को सीधी चुनौती
वी.एस. अटेम ने कहा कि एनएससीएन (आईएम) केंद्र सरकार और अन्य नगा संगठनों के बीच हुए किसी भी समझौते को मान्यता नहीं देगा यदि उसमें नगा ध्वज और संविधान शामिल नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यह विषय नगा आत्म-परिभाषा और सम्मान से जुड़ा हुआ है और इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता।
91 वर्षीय मुइवा अब बोलने में असमर्थ हैं, इसलिए उनके पुराने सहयोगी वी.एस. अटेम ने मुइवा का लिखित संदेश पढ़ा :
“यह मेरे लिए भावुक क्षण है। मेरी क्रांतिकारी यात्रा 1964 में यहीं से शुरू हुई थी।”
उन्होंने बताया कि कई लोग जो उस संघर्ष के साक्षी रहे, अब इस दुनिया में नहीं हैं। मुइवा ने अपने जन्मस्थान की यात्रा को संभव बनाने के लिए भारत सरकार, नगालैंड सरकार और मणिपुर सरकार को धन्यवाद भी दिया।
1 अगस्त 1997 : केंद्र और एनएससीएन (आईएम) के बीच संघर्षविराम समझौता
70 से अधिक वार्ताएं हो चुकी हैं
2015 : "रूपरेखा समझौता" पर हस्ताक्षर
मुख्य मांगें :
अलग नगा ध्वज
अलग नगा संविधान
हालांकि केंद्र सरकार अब तक इन मांगों को मानने को तैयार नहीं है। इसी कारण समझौता अंतिम रूप नहीं ले पाया।
2017 में, केंद्र ने 7 नगा समूहों के गठबंधन WC NNPG के साथ भी अलग से वार्ता शुरू की
डब्ल्यूसी एनएनपीजी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर चुका है
उन्होंने विवादास्पद मुद्दों पर बातचीत जारी रखने की बात कही है
परंतु एनएससीएन (आईएम) अब भी अपने दो प्रमुख मुद्दों (ध्वज और संविधान) पर अडिग है
टी. मुइवा के पचास साल बाद उखरुल आने पर नगा समाज ने अभूतपूर्व उत्साह दिखाया :
हजारों की संख्या में महिलाएं पारंपरिक पोशाक में
पुरुष पारंपरिक भाले और सिर पर पगड़ी पहनकर पहुंचे
जिला मुख्यालय बख्शी मैदान में हेलिकॉप्टर से मुइवा उतरे
जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर सोमदल गांव के लिए विशेष हेलीपैड तैयार किया गया
कई वरिष्ठ नगा नेता भी उखरुल पहुंचे
होर्डिंग, पेंटिंग और रात भर सफाई अभियान से इलाके को सजाया गया
टी मुइवा का दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब मणिपुर मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच भीषण जातीय संघर्ष से जूझ रहा है। मई 2023 से शुरू हुई हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
इस संदर्भ में मुइवा की यात्रा राजनीतिक, सामाजिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
ए. होराम, जो मुइवा से मिलने पहुंचे, ने कहा :
“यह हमारे लिए भावुक क्षण है। हम उनकी कहानियों को सुनकर बड़े हुए हैं। वह हमारे लिए एक जीवित किंवदंती हैं।”
मुइवा एक सप्ताह तक सोमदल गांव में रहेंगे
29 अक्टूबर को सेनापति जिले के रास्ते दीमापुर लौटने की योजना है
कैसी होंगी परिस्थितियां
एनएससीएन (आईएम) के बयान से यह साफ हो गया है कि नगा ध्वज और संविधान की मांग संगठन के लिए गैर-मोलभाव योग्य मुद्दा है।
मुइवा की गांव वापसी भावनात्मक जरूर है, लेकिन इसका राजनीतिक संदेश भी उतना ही स्पष्ट है। नगा संघर्ष और भारत सरकार के बीच अंतिम समझौता अब भी अधर में है और मुइवा की यह यात्रा इस संघर्ष के अगले अध्याय की भूमिका हो सकती है।