नई दिल्ली - भारत और पाकिस्तान के बीच अब सीजफायर लागू हो चुका है और हालिया दिनों से जारी गोलीबारी और गोला-बारी फिलहाल रुक गई है। हालांकि, इसी दौरान शुक्रवार सुबह जम्मू-कश्मीर में एलओसी के पास पाकिस्तानी फायरिंग में आंध्र प्रदेश के 25 वर्षीय जवान मुरली नाइक शहीद हो गए। मुरली नाइक 851 लाइट रेजिमेंट से जुड़े थे और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से की गई फायरिंग में गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद शुक्रवार सुबह उनका निधन हो गया। मुरली नाइक ने दिसंबर 2022 में सेना में भर्ती होकर देश की सेवा शुरू की थी और उन्हें जम्मू-कश्मीर में 851 लाइट रेजिमेंट में तैनात किया गया था।
शहीद हुए आंध्र प्रदेश के जवान मुरली नाइक
शहीद मुरली नाइक का अंतिम संस्कार आज सुबह 10 बजे से शुरू किया गया। इस मौके पर उन्हें सैन्य सम्मान के तहत तोपों की सलामी दी गई। सेना के अधिकारियों ने नाइक के माता-पिता को सम्मान स्वरूप राष्ट्रीय ध्वज भी सौंपा। दोपहर में पारिवारिक रीति-रिवाजों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार संपन्न किया जाएगा। मुरली नाइक अपने माता-पिता, मुदवथ श्रीराम नाइक और मुदवथ ज्योति बाई, के इकलौते पुत्र थे। दोनों किसान हैं। उनके पिता ने बताया कि मुरली नाइक का बचपन से ही सेना में भर्ती होने का सपना था, जिसे उन्होंने पूरा किया।
सरकार करेगी आर्थिक सहायता
शहीद मुरली नाइक के परिवार को उनकी शहादत की सूचना शुक्रवार तड़के दी गई। परिवार के अनुसार, सुबह करीब 3 से 3:30 बजे के बीच एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने नाइक की मां को फोन कर बताया कि उनका बेटा भारी गोलीबारी के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गया था और बाहर निकालने की कोशिश के दौरान उनकी जान चली गई। इस बीच आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण और मंत्री नारा लोकेश ने शहीद के परिवार के लिए मुआवजे की घोषणा की है। परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता, 5 एकड़ खेती योग्य जमीन और घर बनाने के लिए 300 गज जमीन दी जाएगी। इसके अलावा पवन कल्याण ने व्यक्तिगत तौर पर 25 लाख रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान भी किया है।
कौन थे मुरली नाइक ?
नाइक मूल रूप से आंध्र प्रदेश के श्री सत्य साईं जिले के गोरंटला मंडल के टला मंडल स्थित कल्ली थांडा गांव के निवासी थे। वे ‘अग्निवीर योजना’ के अंतर्गत भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। उनके पिता श्रीराम नाइक के अनुसार, मुरली नाइक ने नवंबर 2022 में अग्निवीर के रूप में सेना में शामिल होकर महाराष्ट्र के नासिक में प्रशिक्षण प्राप्त किया था। सरकारी जानकारी के मुताबिक, 23 वर्षीय मुरली नाइक भारतीय सेना की उत्तरी कमान की 851 लाइट रेजिमेंट का हिस्सा थे।
उन्होंने आखिरी बार 6 से 20 जनवरी, 2025 के बीच 15 दिनों की छुट्टी ली थी। इसके बाद वे ड्यूटी पर लौटे और शुक्रवार को सीमा पर हुए संघर्ष में शहीद हो गए। प्रशिक्षण के बाद उनकी पहली पोस्टिंग असम में हुई थी, जहां उन्होंने एक वर्ष सेवा दी। इसके बाद उन्हें छह महीने के लिए जम्मू भेजा गया। श्रीराम नाइक ने बताया कि जनवरी की छुट्टी के बाद वह ड्यूटी पर लौट गया था और फिर सीमा पर हुई लड़ाई में अपनी जान गंवा बैठा।