देश/विदेश

रेलवे ने लोको पायलट के लिए विश्राम नियम बदले

यूनियन ने किया विरोध

नयी दिल्ली : रेल मंत्रालय ने रेलवे के विभिन्न जोन और मंडलों में अपनाए जाने वाले अलग-अलग नियमों में एकरूपता लाने के मकसद से ट्रेन चालक दल के सदस्यों के लिए ‘आउट स्टेशन’ (मुख्यालय से बाहर के) विश्राम नियमों को बदलने की घोषणा की है।

रेल सूचना प्रणाली केंद्र (क्रिस) के महाप्रबंधक के नाम मंत्रालय के परिपत्र में कहा गया कि ट्रेन परिचालन के दौरान उसमें ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों के लिए कार्य अवधि के संदर्भ में ‘आउटस्टेशन’ विश्राम नियम छह प्रकार के हैं। तीन विश्राम मानदंडों को निर्दिष्ट करते हुए परिपत्र में कहा गया, ‘मौजूदा नियमों के अनुरूप ‘आउट स्टेशन’ विश्राम नियमों में एकरूपता बनाए रखने के लिए बोर्ड द्वारा नियमों में बदलाव की मंजूरी दी गयी।’ परिपत्र के अनुसार, ट्रेन में ड्यूटी देने वाले कर्मचारियों को आठ घंटे ड्यूटी करने पर आठ घंटे का विश्राम और पांच से आठ घंटे की ड्यूटी करने वालों को छह घंटे का विश्राम दिया जाएगा। इसमें कहा गया है कि जो कर्मचारी पांच घंटे या उससे कम अवधि की ड्यूटी करते हैं, उन्हें ड्यूटी की अवधि से एक घंटा अधिक विश्राम के लिए मिलेगा।

यूनियन ने जताया विरोध

दूसरी ओर, ‘ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन’ ने रेलवे बोर्ड को पत्र लिखकर इस कदम पर विरोध दर्ज कराया है और इसे ‘अवैध आदेश’ बताया है। उसका कहना है कि यह आदेश मंत्रालय के पिछले आदेशों का उल्लंघन करता है। एसोसियेशन ने कहा कि मंत्रालय का पत्र सुरक्षित रेल परिचालन को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा क्योंकि यह 2016 में मंत्रालय द्वारा गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति के कार्य घंटों के नियमों की पूरी तरह से अवहेलना करता है। यूनियन पदाधिकारियों ने कहा कि समिति का मानना है कि आठ घंटे से कम अवधि का कोई भी विश्राम अपर्याप्त है क्योंकि इस अवधि के दौरान कर्मचारियों को विश्राम के अलावा कई अन्य गतिविधियों में भी काफी समय देना पड़ता है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए लोको पायलट को लॉबी से रनिंग रूम तक जाने, व्यक्तिगत स्वच्छता संबंधी जरूरतों को पूरा करने, भोजन तैयार करने एवं भोजन करने और अन्य कार्यों के लिए समय की आवश्यकता होती है। यूनियन के महासचिव केसी जेम्स ने कहा, ‘इस प्रकार कर्मचारी को विश्राम के लिए वास्तव में आठ घंटे से बहुत कम समय मिलता है, जबकि कम से कम आठ घंटे की नींद जरूरी होती है।’

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