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वैश्विक स्तर पर हसीना के मुकदमे की निष्पक्षता पर उठ रहे हैं प्रश्न

ह्यूमन राइट्स वॉच' (HRW) ने कहा कि अभियोजन पक्ष 'अंतरराष्ट्रीय निष्पक्ष सुनवाई के मानकों के तहत कार्यवाही करने में विफल रहा'।

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और कई वैश्विक थिंकटैंक ने उस मुकदमे की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं, जिसके कारण बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई। हसीना को सोमवार को बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) द्वारा उनकी अनुपस्थिति में 'मानवता के विरुद्ध अपराध' के लिए मौत की सजा सुनाई गई। यह सजा पिछले वर्ष छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर उनकी सरकार की क्रूरतापूर्ण कार्रवाई के लिए दी गई।

अनुपस्थिति में मुकदमा पक्षपातपूर्ण

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोमवार को एक बयान में कहा कि हसीना की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाना और उन्हें मौत की सजा सुनाना 'न तो निष्पक्षतापूर्ण था और न ही न्यायसंगत', जबकि न्यूयॉर्क स्थित 'ह्यूमन राइट्स वॉच' (HRW) ने कहा कि अभियोजन पक्ष 'अंतरराष्ट्रीय निष्पक्ष सुनवाई के मानकों के तहत कार्यवाही करने में विफल रहा'।

एचआरडब्ल्यू ने एक बयान में कहा कि हसीना के खिलाफ सबूतों में ऑडियो रिकॉर्डिंग भी शामिल हैं जिनमें उन्होंने कथित तौर पर घातक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दिया था। बयान में यह भी कहा गया कि अदालत द्वारा नियुक्त वकील गवाहों से जिरह कर सकता था, लेकिन उसने बचाव पक्ष का कोई गवाह पेश नहीं किया। इसमें कहा गया है, 'न्याय सुनिश्चित करने का अर्थ अभियुक्तों के अधिकारों की रक्षा करना भी है, जिसमें मृत्युदंड को समाप्त करना भी शामिल है।'

इसमें कहा गया है, 'इस तरह की प्रथाएं (मृत्युदंड) मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत जारी रही हैं।' इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप (ICG) ने एक बयान में कहा कि अनुपस्थिति में मुकदमे अक्सर विवादास्पद होते हैं और इस मामले में, जिस गति से सुनवाई की गई और 'बचाव पक्ष के लिए संसाधनों की स्पष्ट कमी' ने 'निष्पक्षता पर सवाल' खड़े किए।

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