कोलकाता : देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते दुरुपयोग को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका आरती साह नामक नागरिक ने दायर की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि AI तकनीक के लगातार दुरुपयोग से आम नागरिकों की निजता (privacy), गरिमा (dignity) और मौलिक अधिकार (fundamental rights) खतरे में पड़ रहे हैं। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि केंद्र सरकार को यह निर्देश दिया जाए कि वह एक राष्ट्रीय स्तर की AI रेगुलेटरी बॉडी (नियामक संस्था) बनाए। यह संस्था देश में इस्तेमाल हो रही AI तकनीकों पर निगरानी रखे और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
आरती साह की ओर से सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अनिलेंद्र पाण्डेय ने दाखिल की है। उन्होंने बताया कि आजकल AI से तैयार की गई बनावटी तस्वीरें, ऑडियो, वीडियो और डीपफेक समाज में गलत जानकारी फैलाने और लोगों की छवि खराब करने के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। इससे न केवल लोगों की निजता का हनन हो रहा है, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है। पाण्डेय का कहना है कि AI के दुरुपयोग से जुड़ा खतरा तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए देश में एक मजबूत और सख्त कानून की जरूरत है, जो ऐसे मामलों में तुरंत और प्रभावी कार्रवाई कर सके। उन्होंने सुझाव दिया है कि सरकार को एक ऐसा ढांचा तैयार करना चाहिए जो तकनीकी प्लेटफार्मों की वैधानिक जवाबदेही (legal accountability) तय करे, ताकि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो सके।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि देश के विभिन्न हाईकोर्ट में AI को रेगुलेट करने से जुड़े जो मामले लंबित हैं, उन्हें सुप्रीम कोर्ट अपने पास ट्रांसफर करे। इससे इन मामलों की एक साथ सुनवाई हो सके और पूरे देश में AI से संबंधित एक समान कानून और नीतियां बनाई जा सकें। इस याचिका के माध्यम से अदालत से यह उम्मीद जताई गई है कि वह केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह समय रहते AI के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए।