नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को फोन टैपिंग मामले में अभियुक्त तेलंगाना के विशेष आसूचना ब्यूरो (एसआईबी) के पूर्व प्रमुख टी प्रभाकर राव को दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा के पीठ ने राव को जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया और कहा कि उनका पासपोर्ट उन्हें उपलब्ध कराया जाये। फोन टैपिंग मामले में मुख्य अभियुक्त राव के अमेरिका में होने का संदेह है। पुलिस के एक अधिकारी ने पहले बताया कि उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी की गयी है और उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है। शीर्ष न्यायालय ने राव को यह हलफनामा देने का भी निर्देश दिया कि वे पासपोर्ट प्राप्त होने के तीन दिन के भीतर भारत लौट आयेंगे। मामले की अगली सुनवाई पांच अगस्त को होगी। राव ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस आदेश को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी है, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गयी थी।
हैदराबाद की एक अदालत ने 22 मई को फोन टैपिंग मामले में राव के खिलाफ आदेश जारी किया है जिसके अनुसार अगर राव 20 जून तक अदालत के सामने पेश नहीं होते हैं तो उन्हें ‘भगोड़ा’ घोषित किया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया जाता है, तो अदालत अभियुक्त की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दे सकती है। एसआईबी के निलंबित डीएसपी सहित चार पुलिस अधिकारियों को हैदराबाद पुलिस ने मार्च 2024 में गिरफ्तार किया था। इन पर विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से खुफिया जानकारी मिटाने और पिछली बीआरएस सरकार के दौरान कथित तौर पर फोन टैपिंग का आरोप है। बाद में उन्हें जमानत मिल गयी।