श्रीनगर - जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत के कड़े कदमों से पाकिस्तान में घबराहट साफ दिखाई दे रही है। सीमा पर उसने अपनी फोर्स की गतिविधियां तेज कर दी हैं। राजस्थान के श्रीगंगानगर और पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तानी रेंजर ज़ीरो लाइन तक गश्त करते नजर आ रहे हैं। सीमा पार पाकिस्तान ने कई गांवों को खाली करा लिया है। साथ ही पाकिस्तानी रेंजर जेसीबी मशीनों और अन्य संसाधनों के साथ तैयारी में जुटे हुए हैं।
बीएसएफ भी मुस्तैद
सीमा पार दुश्मन की हर गतिविधि पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान पैनी नजर बनाए हुए हैं। भारतीय सैनिक किसी भी चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में चौकसी और निगरानी को और अधिक मजबूत कर दिया गया है।
सुरक्षा दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण
श्रीगंगानगर की सीमा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलनगर जिले से लगती है, और इसे रेडक्लिफ रेखा के नाम से जाना जाता है। यह रेखा 1947 में भारत-पाक विभाजन के दौरान स्थापित की गई थी और भारत-पाकिस्तान की 3,323 किलोमीटर लंबी सीमा का एक हिस्सा है। श्रीगंगानगर सीमा की लंबाई करीब 210 किलोमीटर है, जो इसे सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण बनाती है।
यहां पर निरंतर निगरानी रखी जाती है। श्रीगंगानगर बॉर्डर को दुनिया की सबसे खतरनाक सीमाओं में गिना जाता है, जहां सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा सख्त निगरानी की जाती है। इस सीमा पर सुरक्षा के लिए तारबंदी, फ्लडलाइट्स (जो रात में अंतरिक्ष से भी दिखती हैं), और बॉर्डर आउटपोस्ट (BOPs) स्थापित किए गए हैं।
पहलगाम में पर्यटकों पर हमला
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में पहलगाम के पास स्थित बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने पर्यटकों को निशाना बनाते हुए हमला किया, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई और लगभग 17 लोग घायल हो गए। यह हमला 2019 में पुलवामा में हुए सीआरपीएफ काफिले पर हमले के बाद का सबसे घातक हमला था। बैसरन घाटी, जो पहलगाम से लगभग 6-7 किलोमीटर दूर है, में आतंकवादियों ने दोपहर करीब 2:50 बजे हमला किया।
हमलावर एके-47 और एम4 कार्बाइन से लैस थे और उन्होंने बॉडीकैम पहन रखी थी। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के सहायक संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली। आतंकवादियों ने पर्यटकों से उनका धर्म पूछा और हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया। कुछ पीड़ितों से "कलमा" पढ़ने को कहा गया, और जो इसे नहीं पढ़ सके, उन्हें गोली मार दी गई।