मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा  
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विवादित सीमा क्षेत्र पर मिजोरम एवं असम यथास्थिति बनाये रखने पर सहमत

मिजोरम के सीएम लालदुहोमा ने कहा

आइजोल : मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा कि अंतर-राज्यीय सीमा पर हालिया तनाव उत्पन्न होने के बाद उनका राज्य और असम विवादित सीमा क्षेत्रों में यथास्थिति बनाए रखने पर सहमत हो गए हैं।

मुख्यमंत्री ने मिजोरम पुलिस सेवा संघ (एमपीएसए) के एक सम्मेलन में कहा कि अंतर-राज्यीय सीमा पर हाल की घटना के बाद उन्होंने असम के अपने समकक्ष हिमंत बिस्व सरमा से बात की है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम अंतर-राज्यीय सीमा पर विवादित क्षेत्रों में यथास्थिति का सम्मान करने और उसे बनाए रखने पर सहमत हुए हैं, जिस पर हम पहले भी चर्चा कर चुके हैं।’ असम के पुलिस कर्मियों और वन विभाग के अधिकारियों ने पश्चिमी मिजोरम के मामित जिले के सैखौथलिर गांव में 15 अगस्त को कथित तौर पर प्रवेश किया तथा स्थानीय लोगों द्वारा उगाये जा रहे रबर के करीब 290 पौधों को नुकसान पहुंचाया। इस घटना से अंतर-राज्यीय सीमा पर तनाव पैदा हो गया है। मिजोरम के अधिकारियों ने बताया कि यह पौधारोपण मुख्यमंत्री के रबर मिशन के तहत किया गया था और इसका प्रबंधन राज्य के भूमि संसाधन, मृदा एवं जल संरक्षण विभाग द्वारा किया जा रहा है।

घटना के बाद, मिजोरम के मामित और असम के हैलाकांडी जिलों के उपायुक्तों और पुलिस प्रमुखों ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक की। एक अधिकारी ने बताया कि बैठक के दौरान, उन्होंने इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने पर चर्चा की और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर समन्वय करने पर सहमति जताई। यह भी निर्णय लिया गया कि इस मामले को उच्च अधिकारियों के पास भेजा जाएगा। बैठक के दौरान, दोनों राज्यों ने विवादित क्षेत्र के अपना-अपना भू-भाग होने का दावा किया। एक बयान के अनुसार, मामित के उपायुक्त के. लालतलामलोवा ने असम के अधिकारियों को बताया कि सैखौथलिर गांव के पास का क्षेत्र, जहां रबर के पौधे नष्ट किए गए थे, कवर्था वन प्रभाग के अंतर्गत आता है और मिजोरम के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के जीआईएस प्रकोष्ठ द्वारा तैयार किए गए मानचित्र में शामिल है।

वहीं दूसरी ओर, हैलाकांडी के उपायुक्त अभिषेक जैन ने दावा किया कि यह क्षेत्र हैलाकांडी में आंतरिक रेखा आरक्षित वन, घरमुरा रेंज के अंतर्गत आता है और आरक्षित वन अधिनियम, 1980 के तहत संरक्षित है। उन्होंने कहा कि आरक्षित वन अधिनियम की धारा 2ए आंतरिक रेखा वन क्षेत्र के भीतर रबर के पेड़ और अन्य पौधों के रोपण पर प्रतिबंध लगाती है। जैन ने मिजोरम के अधिकारियों को यह भी बताया कि असम क्षेत्र के 1.5 किलोमीटर के दायरे में रबर के पौधे लगाना आरक्षित वन अधिनियम का उल्लंघन हो सकता है और राष्ट्रीय हरित अधिकरण का ध्यान आकर्षित कर सकता है। मिजोरम के तीन जिले - आइजोल, कोलासिब और मामित- असम के कछार, श्रीभूमि और हैलाकांडी जिलों के साथ 164.6 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। पूर्वोत्तर के इन दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद मुख्य रूप से औपनिवेशिक काल के 2 परस्पर विरोधी सीमांकनों से उपजा है- एक 1875 में बंगाल पूर्वी सीमा विनियमन के तहत और दूसरा 1933 में। यह काफी समय से लंबित मुद्दा है जो अब तक सुलझाया नहीं जा सका है।

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