इंफाल : मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और मुक्त यातायात क्षेत्र (एफएमआर) को रद्द किए जाने को लेकर शनिवार को यूनाइटेड नगा परिषद (यूएनसी) के साथ एक बैठक की। राजभवन ने एक बयान में यह जानकारी दी।
यूएनसी एफएमआर का विरोध कर रहा है। राजभवन ने एक बयान में कहा कि यूएनसी के प्रतिनिधिमंडल ने एफएमआर और सीमा पर बाड़ लगाने से संबंधित मामलों पर अपने विचार और चिंताओं को साझा किया तथा राज्यपाल से केंद्र के समक्ष इस मामले को उठाने का अनुरोध भी किया। राजभवन ने बयान में कहा, ‘राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल को ध्यानपूर्वक सुना और उन्हें सूचित किया कि यह मामला पहले ही गृह मंत्रालय के समक्ष उठाया जा चुका है। राज्यपाल ने परिषद के सदस्यों से शांति और संयम बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि रचनात्मक संवाद जारी रखना चाहिए।’ यूएनसी के अध्यक्ष एनजी लोरहो ने कहा कि राज्य के सभी नगा संगठनों के शीर्ष निकाय को राज्यपाल द्वारा बैठक के लिए आमंत्रित किया गया था। लोरहो ने कहा, ‘राज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया कि, जैसा कि सीमा का मुद्दा केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आता है, वार्ता में केंद्रीय प्रतिनिधियों की भागीदारी आवश्यक है।’ उन्होंने कहा, ‘राज्यपाल ने आश्वासन दिया है कि वह भारत सरकार और यूएनसी के बीच बहुत जल्द संवाद की सुविधा प्रदान करेंगे। इस बीच, सीमा पर बाड़ लगाने के खिलाफ हमारा रुख और एफएमआर को लेकर सोच समान है।’ नगा समूह सीमा पर बाड़ लगाने के कार्यों और मुक्त आंदोलन शासन को रद्द करने का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह समुदाय को प्रभावित करेगा। एफएमआर को 2018 में भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' के हिस्से के रूप में लागू किया गया था।
बाड़बंदी की पृष्ठभूमि
भारत और म्यांमार की सीमा पर एक "मुक्त यातायात क्षेत्र" (एफएमआर) लागू है, जिसे वर्ष 2018 में भारत सरकार ने अपनी "एक्ट ईस्ट नीति" के तहत शुरू किया था। इस व्यवस्था के तहत, सीमा पर रहने वाले जनजातीय समुदायों को सीमापार 16 किलोमीटर तक बिना वीजा या पासपोर्ट के आने-जाने की अनुमति है। इसका उद्देश्य पारंपरिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संपर्कों को बनाए रखना था।
वर्तमान मुद्दा
भारत सरकार एफएमआर को रद्द करने और भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने की योजना बना रही है। इस पर नगा समुदाय और यूनाइटेड नगा परिषद (यूएनसी) ने विरोध जताया है। उनका मानना है कि इस कदम से सीमा के दोनों ओर बसे नगा समुदायों के पारंपरिक संबंध और आजीविका प्रभावित होंगे।