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कश्मीर के श्रीनगर में रामकथा की चौपाइयां गूंज उठेगी

साढ़े तीन दशक के बाद कश्मीर की वादियों में राम नाम संकीर्तन

सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : हिंद माता के मस्तक पर सुशोभित मुकुट समान कश्मीर की रम्य वादीयों में स्थित श्रीनगर के चश्मे शाही विस्तार में पूज्य मोरारीबापू की रामकथा का आयोजन हुआ है। शेर - ए कश्मीर इन्टरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में 19 अप्रैल शाम 4 बजे से कथागान का मंगलाचरण होगा। इससे पूर्व जम्मु कश्मीर की धरा पर दो बार बापू ने कथा अनुष्ठान संपन्न किया है। सब से पहले व्यासपीठ के कुल कथा क्रम की 666वीं रामकथा 23 जून 2007 में अमरनाथ में "मानस अमरनाथ" के नाम से गाई गई थी।

इसके बाद 1 अक्टूबर 2016 में कटरा में माता वैष्णो देवी के सानिध्य में "मानस मातृ देवो भव" विषय अंतर्गत रामकथा का गान हुआ था, जिसका कुल कथा क्रम 801 था। योगानुयोग ऐसा बना कि दोनों कथाओं का सांख्य पूर्णांक था। पृथ्वी पर के जन्नत माने जाने वाले इस प्रदेश को प्रकृति ने अनुपम सौंदर्य की भेंट दी है। ऐसे समय पर त्रिभूवनी व्यासपीठ द्वारा फिर एक बार यहां से हरि नाम की गूंज उठेगी। इस घटना को महत्व समुचा विश्व आनंद और अहोभाव से देख रहा है। कथा के मनोरथी कोलकाता के अरुण श्रोफ, व्यासपीठ को सर्वथा समर्पित आश्रित है। आपके द्वारा पाया हुआ यह सातवां मौका है, जब आप कथा के निमित्त बन पाये हैं। आपके सहायक सिंहा साहब, विदुर गुप्ताजी, विकास कामानी, कमल चौधरी एवं ब्रिजेश पांडेय लगातार दो माह से कथा व्यवस्था हेतु श्रीनगर से जुड़े रहे हैं।

कथा आयोजन को आखिरी प्रारुप दिया जा रहा है। सभी कथा प्रेमियों के लिए भजन और भोजन प्रसाद पाने के लिए कथा में पधारने का अरुणजी ने व्यासपीठ की तरफ से न्यौता दिया है। दुनिया के तकरीबन 175 राष्ट्रों की धरती पर बापू की व्यासपीठ पहुंची है। इतने व्यापक पैमाने पर फैली हुई त्रिभूवनी व्यासपीठ ने समस्त वायु मंडल और भू मंडल में केवल सत्य, प्रेम और करुणा के स्पंदन प्रसारित किये है। गुरु और ग्रंथ से पाया हुआ मानवता का मंगल संदेश पूज्य बापू सदैव बहाते रहे है। वास्तव में बापू के जीवन के तीन ही सार सूत्र है - सत्य, प्रेम और करुणा। और संसार के प्रति आपके दो ही आत्म भाव है - संवाद और स्वीकार। ऐसे में, कश्मीर की धरती पर "शुभ मंगल हो" की भावना के साथ गाये जाने वाली इस रामकथा अवश्य ही दूरगामी परिणाम लायेगी।

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