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चीन जाएंगे जयशंकर, विवादित मुद्दों पर होगी बात

एलएसी सैन्य गतिरोध के बाद चीन की पहली यात्रा, एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंंगे

बीजिंग : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर वर्ष 2020 के सैन्य गतिरोध के बाद भारतीय विदेश मंत्री पहली बार चीन की धरती पर कदम रखने जा रहे हैं। वह चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की अगले सप्ताह 15 जुलाई को होने वाली बैठक में हिस्सा लेंंगे। इसके अलावा यहां उनकी चीन के शीर्ष विदेश मंत्री व शीर्ष नेतृत्व से भी बैठक की संभावना है। जयशंकर की यह यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(एनएसए) अजीत डोभाल की हालिया चीन यात्राओं के बाद हो रही है। माना जा रहा है कि जयशंकर का यह चीन दौरा बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। यहां पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) सहित अन्य विवादित मुद्दों को हल करने की दिशा में महत्वपूर्ण बातचीत हो सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि वांग इस महीने सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि (एसआर) स्तरीय वार्ता के तहत एनएसए डोभाल के साथ बातचीत के एक नये दौर के लिए भारत भी आ सकते हैं। वांग और डोभाल दोनों ही सीमा तंत्र के नामित विशेष प्रतिनिधि हैं। दोनों देशों ने 3,488 किलोमीटर लंबे जटिल सीमा विवाद को सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधि तंत्र के तहत 23 दौर की वार्ता की है, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। रक्षा मंत्री सिंह पिछले महीने एससीओ के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीनी शहर चिंगदाओ गए थे।

एससीओ में 10 सदस्य देश शामिल

एससीओ में चीन, रूस, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस कुल 10 देश शामिल हैं। दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया, ऑटोमोबाइल सहित कई उत्पादों के निर्माण के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण धातुओं पर चीन द्वारा रोक सहित कई मुद्दों पर बातचीत होने की उम्मीद है।

पहले 13 जुलाई को जयश्बंकर के बीजिंग जाने की बात कही गई थी

इससे पहले, रिपोर्टों में कहा गया था कि जयशंकर वांग के साथ बातचीत के लिए 13 जुलाई को बीजिंग जाएंगे। चीन वर्तमान में एससीओ का अध्यक्ष है और इसी हैसियत से वह इस समूह की बैठकों की मेजबानी कर रहा है। चीनी रक्षा मंत्री जनरल डोंग जुन के साथ अपनी वार्ता के दौरान सिंह ने 26 जून को प्रस्ताव दिया था कि भारत और चीन को एक ‘रोडमैप’ के तहत ‘जटिल मुद्दों’ को हल करना चाहिए, जिसमें सीमाओं पर तनाव कम करने और सीमांकन के लिए मौजूदा तंत्र को फिर से सुचारु करने के लिए कदम उठाना शामिल हैं।

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