देश/विदेश

छात्रों के लिए अब पर्यावरण की पढ़ाई करना हो जाएगा अनिवार्य

बच्चों को फिल्ड में जाकर करना होगा काम

नई दिल्ली : आगामी सत्र से इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, फार्मेसी और मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों के सभी छात्रों को पर्यावरण विषय की पढ़ाई करनी जरूरी होगी।

पढ़ाई के साथ-साथ फील्ड में जाकर केस स्टडी भी करना होगा अनिवार्य

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने सभी राज्यों के शिक्षा सचिवों और सभी प्रौद्योगिकी कॉलेजों को पत्र लिखा है जिसमें उन्हें स्नातक पाठ्यक्रमों के सभी छात्रों को पर्यावरण की पढ़ाई अनिवार्य से करवाने का निर्देश दिया है। एआईसीटीई ने लिखा है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के तहत स्नातक पाठ्यक्रमों में पर्यावरण विषय शामिल किया गया है।विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के तहत पर्यावरण शिक्षा पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार किया है। इसमें पढ़ाई सहित फील्ड में जाकर केस स्टडी भी करनी होगी।

बच्चों को करनी होगी 30 घंटे की केस स्टडी

स्नातक प्रोग्राम के पाठ्यक्रम में नौ विषय शामिल किये गये हैं। कुल 30 घंटों की क्लास रूम स्ट्डी में एक विषय चार घंटे तो अन्य छह-छह घंटों के हैं। इसके कुल चार क्रेडिट होंगे। पर्यावरण शिक्षा के पाठ्यक्रम में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता, जैविक विविधता का संरक्षण, जैविक संसाधनों और जैव विविधता का प्रबंधन, वन और वन्य जीवन संरक्षण और सतत विकास जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इसके अलावा छात्रों को 30 घंटे की केस स्टडी के साथ फील्ड वर्क भी करना होगा। एक सेमेस्टर एक क्रेडिट हासिल करना जरूरी होगा। एक क्रेडिट के साथ कक्षा में तीस घंटे की पढाई और फील्ड वर्क करना पड़ेगा।

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