कोलकाता : बांग्लादेश भारत के लिए ख़तरा बढ़ा रहा है। यूनुस सरकार की पाकिस्तान से दोस्ती इतनी बढ़ गई है कि आईएसआई को बांग्लादेश में अपना कार्यालय खोलने की इजाज़त मिल गई है। समाचार सूत्रों के अनुसार, आईएसआई के अधिकारी ढाका स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग पहुँच गए हैं। बांग्लादेश के इस कदम से भारत की चिंता बढ़ रही है।
पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी भारत-बांग्लादेश सीमा पर अपनी गतिविधियां शुरू करने जा रही है। ख़ुफ़िया सूत्रों से यह खबर मिली है। बताया जा रहा है कि आईएसआई ढाका स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग से अपना काम करेगी। सीएनएन के सूत्रों के अनुसार, यह फ़ैसला पाकिस्तान के ज्वाइंट चीफ़्स ऑफ़ स्टाफ़ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा की चार दिवसीय बांग्लादेश यात्रा के दौरान लिया गया। उस दौरान उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और बांग्लादेशी थल सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुखों से मुलाकात की।
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यूनुस सरकार का यह कदम भारत के लिए ख़तरा बढ़ा रहा है, क्योंकि भारत और बांग्लादेश के बीच 4,500 किलोमीटर की असुरक्षित सीमा है और आईएसआई उन जगहों को निशाना बना रही है। घुसपैठ के साथ-साथ तोड़फोड़ की गतिविधियों का ख़तरा भी बढ़ रहा है। जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश को कुल 5 ज़ोन में बाँटा गया है। और पाँच धुर भारत-विरोधी पाकिस्तानी सेना अधिकारी इनके प्रभारी होंगे। ये आईएसआई की सभी गतिविधियों का प्रबंधन और निगरानी करेंगे। जानकारी के अनुसार, ढाका में आईएसआई का कामकाज संभालने के लिए पाकिस्तानी सेना के 1 ब्रिगेडियर, 2 कर्नल और 4 मेजर शामिल हो रहे हैं। पहले चरण में पाकिस्तानी वायुसेना और नौसेना के कुछ सदस्य भी इसमें शामिल होंगे।
संयोग से, हसीना सरकार के पतन के बाद, आईएसआई प्रमुख इसी साल जनवरी में बांग्लादेश गए थे। तब से, आईएसआई की शाखाएँ बांग्लादेश में फैल रही हैं। जाली मुद्रा के कारोबार से लेकर आतंकवाद को समर्थन देने जैसी गतिविधियाँ चल रही हैं। हसीना शासन के दौरान, बांग्लादेश में आईएसआई की गतिविधियों पर काफ़ी हद तक नियंत्रण था, लेकिन यूनुस सरकार के आने के साथ, वह दोस्ती फिर से बन गई है और वास्तव में यह भारत की चिंताओं को बढ़ा रही है।
हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय संबंध विश्लेषकों का कहना है कि जिस तरह भारत के लिए ख़तरा बढ़ रहा है, उसी तरह बांग्लादेश के लिए भी ख़तरा बढ़ रहा है। क्योंकि बांग्लादेश में आईएसआई की गतिविधियां जितनी बढ़ेंगी, बांग्लादेश में लोकतांत्रिक ढांचा उतना ही ज़्यादा नष्ट होता जाएगा। बांग्लादेश में अभी भी कोई निर्वाचित सरकार नहीं है, और मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने आईएसआई को संरक्षण देकर ख़तरे को कम नहीं, बल्कि बढ़ाया है।