नई दिल्ली - ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में देश के एक डेलिगेशन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पैनल से मुलाकात की है। सूत्रों की मानें तो भारतीय डेलिगेशन ने आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) के खिलाफ कुछ सबूत पेश किए हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का यह पैनल आतंकी संगठनों पर सैंक्शन लगाने का काम करता है। वहीं, TRF ने पहलगाम आतंकी हमले को अंजाम दिया था। हमले के बाद TRF ने इसकी जिम्मेदारी ली, लेकिन युद्ध के हालात बनने के बाद TRF अपनी बात से मुकर गया था।
क्या है इस पैनल का काम ?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के इस पैनल की बात करें तो इसे '1267 कमेटी' भी कहा जाता है। इससे पहले भी यह पैनल कई आतंकी संगठनों को बैन कर चुका है। इस लिस्ट में लश्कर-ए-तैयबा और अल कायदा समेत कई आतंकी संगठनों का नाम शामिल है। साथ ही यह पैनल अंतरराष्ट्रीय आतंकियों की सूची भी तैयार करता है।
2005 में लश्कर-ए-तैयबा पर लगाए सैंक्शन
भारतीय डेलिगेशन ने सोमवार को पैनल के सामने TRF से जुड़े कुछ डॉक्यूमेंट्री एविडेंस रखे हैं, जिससे साबित होता है कि TRF लश्कर-ए-तैयबा का ही हिस्सा है। 1267 कमेटी ने 2005 में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) को आतंकी संगठन घोषित करते हुए पसबा-ए-कश्मीर और जमात-उद-दावा समेत तीन संगठनों पर सैंक्शन लगाए थे।
लश्कर-ए-तैयबा ने 27 बार बदला नाम
यूएन के सैंक्शन से बचने के लिए लश्कर-ए-तैयबा कई बार अपना नाम बदल चुकी है। यूएन की लिस्ट में लश्कर-ए-तैयबा के 27 नाम शामिल हैं, जिनपर प्रतिबंध लगाया गया है। वहीं, लश्कर-ए-तैयबा के एक दर्जन से भी ज्यादा सदस्यों को आतंकी घोषित किया जा चुका है। इस फेहरिस्त में लश्कर-ए-तैयबा के लीडर हाफिज मोहम्मद सईद भी मौजूद है।