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CEC ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग? जानें क्या है पूरी प्रक्रिया और हटाने का तरीका

नई दिल्ली: मतदाता सूची विवाद विवाद को लेकर विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने सोमवार को यहां मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार करने के लिए बैठक की।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के कक्ष में हुई बैठक में चर्चा हुई कि कैसे मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को प्रेस वार्ता को संबोधित किया और उनके द्वारा उठाए गए किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया।

विपक्षी दलों के कुछ सांसदों ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का सुझाव दिया। सूत्रों ने बताया कि इस बारे में अभी विचारविमर्श जारी है, विपक्षी दल फिर से मिलेंगे और इस पर आगे की रणनीति बनाएंगे।

अभी तक कोई औपचारिक चर्चा नहीं

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि पार्टी जरूरत पड़ने पर महाभियोग प्रस्ताव सहित सभी लोकतांत्रिक तरीकों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है। हालांकि, अभी तक इस पर कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई है। अभी तक हमने महाभियोग के बारे में कोई चर्चा नहीं की है, लेकिन जरूरत पड़ने पर हम कुछ भी कर सकते हैं।

रविवार को क्या हुआ था?

ज्ञानेश कुमार ने कहा था कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का उद्देश्य सूचियों में सभी खामियों को दूर करना है और यह गंभीर चिंता का विषय है कि कुछ दल इसके बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं। उन्होंने दोहरे मतदान और ‘वोट चोरी’ के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि सभी हितधारक विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को सफल बनाने पर काम कर रहे हैं।

क्या है महाभियोग की प्रक्रिया और कैसे हटाए जा सकते हैं मुख्य चुनाव आयुक्त?

भारतीय संविधान में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों को हटाने की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से तय है। संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को स्वतंत्र संस्था का दर्जा देता है। मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के जज के समान ही है। इसका मतलब है कि उन्हें केवल महाभियोग के जरिये ही हटाया जा सकता है।

मुख्य चुनाव आयुक्त को उनके पद से हटाने के लिए लोकसभा या राज्यसभा यानी दोनों में से किसी एक सदन में प्रस्ताव लाया जा सकता है। इस प्रस्ताव को सदन में मौजूद और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित होना होगा। इसके बाद प्रस्ताव दूसरे सदन में जाएगा और वहां भी दो-तिहाई बहुमत से पारित होना अनिवार्य है।

दोनों सदनों से महाभियोग प्रस्ताव पास होने के बाद ही राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने का आदेश जारी कर सकते हैं। व्यवहारिक रूप से देखा जाए तो किसी मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाना बेहद कठिन प्रक्रिया है, क्योंकि इसके लिए संसद के दोनों सदनों में भारी बहुमत की आवश्यकता होती है। संसद के मौजूदा संख्याबल को देखते हुए विपक्ष के लिए इतना समर्थन जुटाना आसान नहीं होगा।

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