मुंबई / बेंगलुरु : भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मुंबई में आंधी और मध्यम से भारी बारिश का पूर्वानुमान व्यक्त किया है। नगर निगम के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
भारत की वित्तीय राजधानी के कुछ हिस्सों में मंगलवार रात बादलों की गरज और बिजली चमकने के साथ भारी बारिश हुई। बृहन्मुंबई नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि आईएमडी के अनुसार, महानगर में आमतौर पर बादल छाए रहने और मुंबई समेत उसके उपनगरों में बारिश होने के आसार हैं। वहीं, बेंगलुरु में मंगलवार की रात को बारिश नहीं होने के बावजूद उत्तरी बेंगलुरु में ‘साई लेआउट’ बुधवार को जलमग्न नजर आया। यह स्थिति क्षेत्र की संवेदनशीलता को रेखांकित करती है क्योंकि यह एक निचला आवासीय क्षेत्र है, जहां जल निकासी की समस्या बनी रहती है।
रविवार देर रात से मंगलवार तक हुई 140 मिलीमीटर की हालिया बारिश के कारण पूरे बेगलुरु शहर में बड़े पैमाने पर बाढ़ आ गयी है। ‘साई लेआउट’ के निवासी विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं। भूतल और पहली मंजिल पर स्थित कई आवास अब भी पहुंच से बाहर बने हुए हैं और नगर निकाय के अधिकारी अभी भी बचाव एवं राहत कार्यों में लगे हैं। वर्तमान में बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) की एक टीम जल निकासी व्यवस्था को साफ करने और जमा पानी को बाहर निकालने के प्रयासों में जुटी है। हालांकि, कई निवासियों ने इन प्रयासों की धीमी गति को लेकर अपनी निराशा व्यक्त की है।
क्षेत्र में रहने वाले एक आईटी पेशेवर सूर्या ने अपनी परेशानी व्यक्त करते हुए कहा, ‘पिछले तीन दिनों से बहुत परेशान हैं। बारिश की एक ही घटना ने पानी के स्तर में लगभग पांच फुट की वृद्धि की, जिससे हमारा पूरा घर जलमग्न हो गया। हमारी पहुंच पीने योग्य पानी तक भी नहीं है क्योंकि पानी जमा करने की हौदी दूषित हो गयी है।’ उन्होंने बताया कि ‘साई लेआउट’ में बाढ़ की समस्या हर बारिश के साथ फिर से आ जाती है।
एक अन्य निवासी ने कहा, ‘तीन दिन से बिजली नहीं होने के कारण हममें से जो लोग घर से काम करने में सक्षम हैं, वे भी ऐसा करने में असमर्थ हो गए हैं।’ शिरडी साईबाबा मंदिर को भी बाढ़ के कारण काफी क्षति हुई है, जिसके नाम पर इलाके का नाम ‘साई लेआउट’ रखा गया है। मंदिर के अध्यक्ष दयानंद ने बताया, ‘पूरा मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया है और दस्तावेज बह गए हैं। जनरेटर, जिस पर मैंने 6.5 लाख रुपये खर्च किए थे, अब ठीक नहीं हो सकता। अपर्याप्त योजना के कारण हेब्बल का सारा पानी अब यहां आ रहा है। 20 साल पहले यह इलाका सिर्फ जंगल था। मैंने बड़े विश्वास के साथ इस जगह को बसाया था और अब यहां के निवासी यहां से जाना चाहते हैं।’