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नेपाल के पूर्व पीएम पर भ्रष्टाचार का आरोप

जाने क्या है पूरा मामला

काठमांडू : नेपाल की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी ने पूर्व प्रधानमंत्री एवं सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल पर भूमि हेराफेरी का आरोप लगाया है। खबरों के अनुसार, पद के दुरुपयोग की जांच संबंधी आयोग (सीआईएए) ने गुरुवार को भूमि हेराफेरी मामले में कथित संलिप्तता के लिए एक विशेष अदालत में माधव नेपाल और 92 अन्य के खिलाफ मामला दायर किया। सीआईएए के अनुसार, आरोपी 2010 में एक गैर-लाभकारी संगठन के लिए भूमि सीमा छूट की मंजूरी दिलाने में शामिल थे। यह गैर-लाभकारी संस्था नेपाल में कई स्थानों पर कानूनी रूप से स्वीकृत सीमा से परे भूमि अधिग्रहण में संलिप्त थी। आरोप-पत्र दाखिल होने के बाद मौजूदा सांसद माधव नेपाल ने संसद सदस्यता खो दी है।

एजेंसी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (2002) की संबंधित धाराओं के तहत आरोपियों को जेल की सजा सुनाने और जुर्माना लगाने के साथ-साथ 18.585 करोड़ नेपाली रुपये की वसूली की भी मांग की है। माधव नेपाल ने अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और वह कानूनी प्रक्रिया का सामना करने के लिए तैयार हैं। मई 2009 से फरवरी 2011 तक प्रधानमंत्री रहे माधव नेपाल ने कहा, ‘न्याय और सत्य से बड़ा कुछ नहीं है।’

आरोप पत्र में पूर्व कानून मंत्री प्रेम बहादुर सिंह, भूमि सुधार मंत्री दिवंगत डंबर श्रेष्ठ और पूर्व मुख्य सचिव माधव प्रसाद घिमिरे का भी नाम है। नेपाल के कानून के अनुसार, भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़े गए सभी सरकारी कर्मचारियों को मामले के पूरी तरह खत्म होने तक स्वतः ही निलंबित कर दिया जाता है।

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