नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के अनुरोध वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए सहमति जताई। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने वकील और याचिकाकर्ता मैथ्यूज नेदुम्परा की दलीलों पर गौर किया और उनकी मांग पर कहा कि अगर खामियों को दूर कर दिया जाता है तो इसे सुनवाई के लिए बुधवार को सूचीबद्ध किया जा सकता है। आंतरिक जांच आयोग द्वारा न्यायाधीश को दोषी ठहराए जाने के बाद तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा था।
न्यायमूर्ति वर्मा के इस्तीफा देने से इनकार करने के बाद तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था। नेदुम्परा और 3 अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका में तत्काल आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग करते हुए कहा गया था कि आंतरिक समिति ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया है। याचिका में इस बात पर जोर दिया गया कि आंतरिक जांच से न्यायिक अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है, लेकिन यह लागू कानूनों के तहत आपराधिक जांच का विकल्प नहीं है। बताया जा रहा है कि 14 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास पर आग लगने की घटना के बाद जले हुए नोटों की बोरियां बरामद की गई थीं।