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मर्कोसुर समझौता स्थगित, आखिर क्यों 26 साल से अधर पर लटका है ये समझौता?

विशेषज्ञों का कहना है कि इस देरी से वैश्विक स्तर पर यूरोपीय संघ की वार्ता विश्वसनीयता को झटका लग सकता है क्योंकि वह अमेरिका और चीन के साथ व्यापारिक तनाव के बीच नए व्यापारिक संबंध स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।

नई दिल्ली: किसानों के उग्र विरोध प्रदर्शनों और फ्रांस तथा इटली के अंतिम समय में विरोध के बाद यूरोपीय संघ ने दक्षिण अमेरिकी देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते को फिलहाल स्थगित कर दिया है। यूरोपीय संघ के शीर्ष अधिकारियों को उम्मीद थी कि 26 वर्ष की बातचीत के बाद इस सप्ताहांत ब्राजील में यूरोपीय संघ-मर्कोसुर समझौते पर हस्ताक्षर हो जाएंगे। यूरोपीय आयोग की मुख्य प्रवक्ता पाउला पिन्हो ने हालांकि पुष्टि की कि इसे जनवरी तक के लिए टाल दिया गया है। ‘मर्कोसुर’, दक्षिण अमेरिका क्षेत्र का एक व्यापारिक समूह है जिसमें अर्जेंटीना, ब्राजील, पैराग्वे और उरुग्वे शामिल हैं।

यूरोपीय संघ की वार्ता विश्वसनीयता को झटका

विशेषज्ञों का कहना है कि इस देरी से वैश्विक स्तर पर यूरोपीय संघ की वार्ता विश्वसनीयता को झटका लग सकता है क्योंकि वह अमेरिका और चीन के साथ व्यापारिक तनाव के बीच नए व्यापारिक संबंध स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। इसके संपन्न होने पर यह व्यापार समझौता 78 करोड़ लोगों के बाजार और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के एक चौथाई हिस्से पर लागू होगा। इससे दोनों गुटों के बीच व्यापार की जाने वाली करीब सभी वस्तुओं पर शुल्क धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे।

इटली के कारण समझौते में आई बाधा

यूरोपीय संघ के एक अधिकारी ने बताया कि यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा के बीच इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन के दौरान समझौते को स्थगित करने पर बृहस्पतिवार को सहमति बनी। शर्त यह है कि इटली जनवरी में समझौते के पक्ष में मतदान करेगा।

किसानों के विरोध से पड़ा समझौते पर असर

यह फैसला उस घटना के कुछ घंटों बाद आया जब ट्रैक्टर में सवार किसानों ने व्यापार समझौते के विरोध में ब्रुसेल्स में सड़कों को अवरुद्ध कर दिया जिसके जवाब में पुलिस को आंसू गैस व पानी की बौछारें करनी पड़ी। किसान अपने साथ आलू और अंडे फेंकने के लिए लाए थे। उन्होंने पुलिस के साथ जमकर झड़प की।

मैक्रों ने मर्कोसुर समझौते का विरोध किया

इस बीच, यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन में पहुंचने पर फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने मर्कोसुर समझौते का कड़ा विरोध किया। उन्होंने जनवरी में और रियायतें देने तथा अधिक चर्चा करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वे समझौते को स्थगित करने के बारे में इतालवी, पोलिश, बेल्जियम, ऑस्ट्रियाई और आयरिश सहयोगियों सहित अन्य लोगों के साथ बातचीत कर रहे हैं।

मैक्रों ने कहा, ‘‘ किसानों को पहले से ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि व्यापार समझौते को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन तथा मवेशियों में फैली बीमारी फ्रांस के विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त है। हम इस समझौते के लिए किसानों की बलि नहीं दे सकते।’’

मेलोनी ने जल्दबाजी से बचने की सलाह दी

इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने बुधवार को इतालवी संसद को बताया कि आने वाले दिनों में समझौते पर हस्ताक्षर करना ‘‘जल्दबाजी’’ होगी। मेलोनी ने कहा, ‘‘ इसका मतलब यह नहीं है कि इटली इस समझौते को रोकना या इसका विरोध करना चाहता है, बल्कि इसका मतलब यह है कि वह समझौते को तभी मंजूरी देगा जब इसमें हमारे कृषि क्षेत्र के लिए पर्याप्त पारस्परिक गारंटी शामिल होंगी।’’

दो-तिहाई देशों के समर्थन की आवश्यकता

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं, लेकिन उन्हें यूरोपीय संघ के कम से कम दो-तिहाई देशों के समर्थन की आवश्यकता है। इटली के विरोध से फ्रांस को वॉन डेर लेयेन के मत के खिलाफ वीटो करने के लिए पर्याप्त वोट मिल जाएंगे। ।

यूरोपीय संघ-मर्कोसुर समझौते के समर्थकों का कहना है कि यह चीन के निर्यात नियंत्रणों एवं अमेरिका के आक्रामक शुल्क अभियान का एक स्पष्ट विकल्प होगा। वहीं आलोचकों का कहना है कि इससे पर्यावरण नियमों और यूरोपीय संघ के प्रतिष्ठित कृषि क्षेत्र दोनों को नुकसान पहुंचेगा। ब्रुसेल्स शिखर सम्मेलन से पहले जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने कहा कि समझौते में देरी या इसे रद्द करने से यूरोपीय संघ की वैश्विक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचेगी

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