आपातकाल के दौरान की तस्वीर  
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आपातकाल कांग्रेस की ज्यादतियों का ‘काला अध्याय' था : थरूर

जनता ने 1977 के चुनाव में इंदिरा सरकार को नकार कर दिया था जवाब जबरन नसबंदी एवं नयी दिल्ली में झुग्गियों को बलपूर्वक गिराने में संजय को था इंदिरा का समर्थन

तिरुवनंतपुरम : तिरुवनंतपुरम के सांसद व वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक बार फिर से अपनी पार्टी के हुक्मरानों को झटका दिया है। थरूर ने 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल की आलोचना करते हुए कहा कि देश की जनता ने उस दौर की ज्यादतियों का स्पष्ट जवाब उनकी पार्टी को बड़े अंतर से हराकर सत्ता से बाहर करके दिया था। कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य थरूर ने एक मलयालम दैनिक में गुरुवार को आपातकाल पर प्रकाशित एक लेख में इसे भारत के इतिहास का ‘काला अध्याय’ बताया और इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी के कृत्यों को याद किया जिसमें जबरन नसबंदी अभियान एवं नयी दिल्ली में झुग्गियों को बलपूर्वक गिराए जाने के मामले शामिल हैं। थरूर ने कहा कि (पूर्व) प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को इन कठोर कार्रवाई का समर्थन करते हुए देखा गया था। उन्होंने इस मामले में देश की पहली महिला प्रधानमंत्री की आलोचना की, जिन्हें नेहरू परिवार और कांग्रेस भारत की ‘आयरन लेडी’ मानती है। इधर, विपक्ष के नेता और वरिष्ठ कांग्रेस नेता वी. डी. सतीशन ने लेख पर उनके विचार पूछे जाने पर कहा कि केवल पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व ही इस पर टिप्पणी कर सकता है। थरूर ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के दौरान उठाए गए कदमों पर कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के लिए किए गए प्रयास अक्सर क्रूरतापूर्ण कृत्यों में बदल जाते हैं जिन्हें उचित नहीं ठहराया जा सकता।

संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया था : थरूर ने एक पोस्ट पर लिखा कि इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया जो इसका एक संगीन उदाहरण बन गया। पिछड़े ग्रामीण इलाकों में मनमाने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हिंसा और बल का इस्तेमाल किया गया। नयी दिल्ली जैसे शहरों में झुग्गियों को बेरहमी से ध्वस्त कर उनका सफाया कर दिया गया। हजारों लोग बेघर हो गए। उनके कल्याण पर ध्यान नहीं दिया गया। थरूर ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि दुर्भाग्यपूर्ण ज्यादतियां होने के बावजूद बाद में इन कृत्यों को कुछ गरिमा के साथ चित्रित किया गया।

आज का भारत 1975 का भारत नहीं : कांग्रेस सांसद ने कहा कि उस दौर की ज्यादतियों ने अनगिनत लोगों को गहरा और स्थायी नुकसान पहुंचाया। आपातकाल के बाद मार्च 1977 में हुए पहले स्वतंत्र चुनाव में लोगों ने स्पष्ट प्रतिक्रिया दी और इंदिरा गांधी एवं उनकी पार्टी को बड़े अंतर से सत्ता से बाहर कर दिया। यह सभी लोगों के लिए एक सबक होना चाहिए। आज का भारत 1975 का भारत नहीं है। हम ज्यादा आत्मविश्वासी, ज्यादा विकसित और कई मायनों में ज्यादा मजबूत लोकतंत्र हैं। फिर भी, आपातकाल के सबक चिंताजनक रूप से प्रासंगिक बने हुए हैं।

आपात काल एक चेतावनी थी, सतर्क रहना चाहिए : थरूर ने चेतावनी दी कि सत्ता को केंद्रीकृत करने, असहमति को दबाने और संवैधानिक रक्षात्मक उपायों को दरकिनार करने की प्रवृत्ति विभिन्न रूपों में फिर से उभर सकती है। अक्सर ऐसी प्रवृत्तियों को राष्ट्रीय हित या स्थिरता के नाम पर उचित ठहराया जा सकता है। इस लिहाज से आपातकाल एक कड़ी चेतावनी है। लोकतंत्र के प्रहरियों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए। थरूर के लेख पर प्रतिक्रिया देने के बारे में पूछे जाने पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता वी. डी. सतीशन ने कहा कि थरूर पार्टी की कार्यसमिति के सदस्य हैं और उनके द्वारा लिखे गए लेख पर राष्ट्रीय नेतृत्व को ही टिप्पणी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लेख के बारे में मेरी राय जरूर है, लेकिन मैं उसे व्यक्त नहीं करूंगा। वरिष्ठ कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन ने कहा कि इस समय आपातकाल पर चर्चा प्रासंगिक नहीं है।

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