नयी दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वह 13 दिसंबर, 2023 को संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के मामले में गिरफ्तार एकमात्र महिला अभियुक्त नीलम आजाद की जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करे।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार गुप्ता के पीठ ने नीलम आजाद की उस अर्जी पर अभियोजन पक्ष को नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने निचली अदालत के 11 सितंबर, 2024 के आदेश को चुनौती देते हुए अपील दायर करने में हुई देरी के लिए माफी देने का अनुरोध किया है। निचली अदालत ने अपने आदेश में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा कि अपील दायर करने में 142 दिनों की देरी हुई है, जबकि कानून में ऐसा करने के लिए अधिकतम 90 दिन का समय निर्धारित है। हाई कोर्ट ने शुरू में कहा था कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत देरी क्षमा योग्य नहीं है और अपील पर विचार नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश से अवगत कराया गया जिसमें कहा गया था कि ऐसी अपीलों को खारिज नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट को बताया गया कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित किया है, जिसमें निर्देश दिया गया है कि 90 दिनों से अधिक की देरी को माफ न करने के कारण अभियुक्तों द्वारा दायर अपीलों को खारिज नहीं किया जाएगा। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि अपील सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि यह समय-सीमा के चलते वर्जित है। अभियोजन पक्ष ने कहा कि नीलम आजाद कथित रूप से अन्य सह-अभियुक्तों के साथ एक गहरी साजिश का हिस्सा थीं और इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि वह फोन पर उनके संपर्क में थीं।
पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, ‘वह (नीलम) संसद में क्या करने की कोशिश कर रही थीं? वह धुआं फैला रही थीं? यह क्या है?’
नीलम आजाद के वकील ने कहा कि वह संसद में कोई विस्फोटक लेकर नहीं पहुंची थीं और बाहर खड़ी थीं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल तक के लिए टाल दी और इस मामले में अधीनस्थ अदालत का ‘इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड’ मांगा। अपील दायर करने में देरी के मुद्दे पर वकील ने कहा कि नीलम आजाद एक गरीब परिवार से हैं और उनके पास दिल्ली आने के लिए पैसे नहीं थे। वर्ष 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले की वर्षगांठ पर सुरक्षा में सेंध लगाते हुए सागर शर्मा और मनोरंजन डी शून्यकाल के दौरान दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए और ‘कनस्तरों’ से पीली गैस छोड़ने के साथ नारे लगाए। इसके बाद कुछ सांसदों ने उन्हें काबू कर लिया। लगभग उसी समय दो अन्य अभियुक्तों (अमोल शिंदे और आजाद) ने संसद परिसर के बाहर ‘कनस्तरों’ से रंगीन गैस का छिड़काव किया और ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ जैसे नारे लगाए। इन चारों को मौके पर ही हिरासत में ले लिया गया, जबकि ललित झा और महेश कुमावत को बाद में गिरफ्तार किया गया।