जबलपुर : मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने व्यापमं घोटाले में भोपाल स्थित ‘सेंटर फॉर रिसर्च एंड इंडस्ट्रियल स्टाफ परफॉर्मेंस (सीआरआईएसपी)’ के पूर्व अध्यक्ष सुधीर शर्मा के खिलाफ दर्ज सभी चार प्राथमिकियां सोमवार को रद्द कर दीं। व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाला साल 2013 में सामने आया था, जिसे सबसे बड़ा परीक्षा घोटाला भी कहा जाता रहा है। इस घोटाले में मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश और सरकारी भर्तियों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई थीं। व्यापमं घोटाले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने सीआरआईएसपी के पूर्व अध्यक्ष शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जो राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और विज्ञान भारती में विभिन्न पदों पर भी रहे थे। इसके बाद व्यापमं घोटाले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी गई थी, जिसने शर्मा के खिलाफ उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा 2012, पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2012, अनुबंध स्कूल शिक्षक भर्ती ‘ग्रुप टू’ परीक्षा 2011 और ‘फॉरेस्ट गार्ड’ भर्ती परीक्षा 2013 में कथित अनियमितताओं को लेकर मामला दर्ज किया था। सीबीआई ने शर्मा के खिलाफ चार मामले दर्ज किए और अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
कोर्ट को किसी वित्तीय लेनदेन या लाभ लेने का नहीं मिला कोई सबूत : मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए सभी चार प्राथमिकियों को रद्द करने के आदेश जारी किए। अदालत के विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है। आरोपी शर्मा के वकील कपिल शर्मा ने खंडपीठ को बताया कि सभी चार मामलों में याचिकाकर्ता और किसी भी व्यक्ति के बीच किसी भी वित्तीय लेनदेन का कोई सबूत नहीं मिला है। उन्होंने अदालत से कहा कि सीबीआई के आरोपपत्र में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि याचिकाकर्ता ने किसी तरह का वित्तीय लाभ कमाया है। कपिल शर्मा ने कहा,‘‘चूंकि वित्तीय लाभ प्राप्त करने का कोई सबूत नहीं मिला, इसलिए याचिकाकर्ता को मामले में आरोपी नहीं बनाया जा सकता। इसलिए दर्ज की गई प्राथमिकी रद्द करने योग्य है। उन्होंने कहा कि खंडपीठ ने मामले में सबूतों की कमी के कारण सभी चार मामलों में प्राथमिकी रद्द करने के आदेश जारी किए हैं।