नई दिल्ली : देश के 40 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग गरीबी रेखा से नीचे या उसके करीब हैं जिसकी वजह से उन्हें अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए दूसरों पर आश्रित रहना पड़ रहा है।
देश में उम्रदराज आबादी पर केंद्रित रिपोर्ट ‘दीर्घायु: बढ़ती उम्र को समझने का एक नया तरीका’ में उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद पता चलता है कि उम्रदराज आबादी को कितनी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। इसमें आर्थिक सुरक्षा एक बड़ी समस्या दिखी। चालीस प्रतिशत से अधिक वृद्ध लोग गरीबी रेखा से नीचे या उसके करीब हैं। वहीं 60 प्रतिशत से अधिक बुजुर्गों ने अपनी आर्थिक स्थिति को खराब या औसत बताया। एक अनुमान के अनुसार देश में वर्तमान में 60 साल से ऊपर के लोगों की आबादी करीब 15 करोड़ है और इसके 2047 तक 30 करोड़ पर पहुंचने का अनुमान है।
चैरिटी (परमार्थ) कार्यों से जुड़ी संस्था ‘रोहिणी नीलेकणि फिलान्थ्रॉपीज’ की इस रिपोर्ट के अनुसार 36 प्रतिशत बुजुर्ग अब भी काम कर रहे हैं हालांकि इनमें से कई लोग अब आराम चाहते हैं। कई बुजुर्ग जो आर्थिक रूप से सुरक्षित भी महसूस करते हैं, वे भी अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए अपने बच्चों या परिवार पर निर्भर हैं। अध्ययन में 70 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग महिलाओं ने आश्रय, भोजन, कपड़े और दवा सहित अपनी जरूरतों एवं आवश्यकताओं के लिए दूसरों पर निर्भर होने की बात कही। इस रिपोर्ट को 10 महीने में अग्रणी विशेषज्ञ संगठनों के साथ बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें केअर्स वर्ल्डवाइड, विजडम सर्किल, सिल्वर टॉकीज, हेल्पएज इंडिया जैसे संगठन शामिल हैं।