चुमौकेदिमा : नगालैंड में चुमौकेदिमा के पौमाई बैपटिस्ट चर्च ने ‘सफलता’ विषय पर चार दिवसीय युवा शिविर आयोजित किया ताकि युवाओं को जीवन की चुनौतियों से पार पाने के लिए आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाया जा सके। इसका मुख्य फोकस था ईश्वर में विश्वास के माध्यम से आत्मबल और मानसिक दृढ़ता विकसित करना।
स्थान एवं समय: यह शिविर 14 से 17 अगस्त तक चुमौकेदिमा के मुरीसे गांव में स्थित रिफ्यूज रिट्रीट सेंटर में हुआ, जो एक शांत और प्रेरणादायक वातावरण प्रदान करता है।
प्रमुख वक्ता और नेतृत्व:
· रेवरेंड डॉ. वोबा जेम्स: ईस्टर्न थियोलॉजिकल कॉलेज, जोरहाट के प्रोफेसर और पीस राइडर्स इंडिया के संयोजक।
· डॉ. रेवरेंड पी. जेम्स: पौमाई बैपटिस्ट चर्च, चुमौकेदिमा के पादरी।
इनके नेतृत्व में शिविर में कई प्रभावशाली और ज्ञानवर्धक सत्र आयोजित किए गए।
मुख्य विषय और सत्र:
वक्ता युवाओं को जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण आध्यात्मिक विषयों पर शिक्षित करते हुए चर्चा की, जिनमें शामिल थे:
· पाप और उसके परिणाम: यह सत्र पाप के दुष्परिणामों और उनसे मुक्ति के तरीकों पर केंद्रित था।
· भय और असुरक्षा से मुक्ति: युवाओं को उनके मन में मौजूद भय और असुरक्षा को दूर करने के उपाय बताए गए।
· अंत समय (परलोक विद्या): जीवन के अंतिम सत्य और परलोक की जानकारी प्रदान की गई।
· उद्देश्य की प्राप्ति: जीवन में अपने उद्देश्य को समझने और प्राप्त करने के मार्ग।
· आध्यात्मिक ठहराव से मुक्ति: आध्यात्मिक रूप से स्थिर होने की बजाय लगातार आगे बढ़ने और विकास करने पर बल दिया गया।
व्यक्तिगत अनुभव साझा करना:
एच अल्फा पोउ और आर थाइजी डुओ ने अपने व्यक्तिगत जीवन के संघर्षों और उनमें विश्वास के माध्यम से विजय प्राप्त करने की अपनी प्रेरणादायक यात्राएँ साझा कीं। इससे अन्य युवाओं को बहुत प्रेरणा मिली।
संगठन और गतिविधियां : 131 युवाओं को पांच समूहों में बांटा गया ताकि वे विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लेकर एक-दूसरे के साथ बेहतर तालमेल और समझ विकसित कर सकें।
·जागृति संबंधित सत्र: जागरूकता और आत्मनिरीक्षण के लिए।
· स्तुति और आराधना: आध्यात्मिक ऊर्जा और विश्वास को बढ़ाने के लिए।
· इनडोर और आउटडोर खेल: टीम भावना और सौहार्द बढ़ाने के लिए।
पाद-प्रक्षालन समारोह : इस समारोह को खास तौर पर याद किया गया क्योंकि यह सेवा और विनम्रता का प्रतीक था। चर्च के नेतृत्व ने युवाओं के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया कि सच्ची महानता सेवा और दूसरों के प्रति समर्पण में निहित होती है। इस दौरान कई युवा भावुक हो उठे, जो यह दर्शाता है कि शिविर का प्रभाव कितना गहरा था।
प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया : शिविर में भाग लेने वाले युवाओं ने बताया कि उन्हें न केवल व्यक्तिगत सफलताएं मिलीं, बल्कि आध्यात्मिक नवीनीकरण भी महसूस हुआ। उन्होंने ईश्वर के साथ अपने संबंध को और मजबूत किया और जीवन में सकारात्मक बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाया।
शिविर का समापन : 17 अगस्त को शिविर का समापन सामान्य चर्च सेवा के साथ हुआ, जिसमें युवाओं ने आराधना, प्रार्थना और अपने अनुभव साझा कर अपनी सीख का प्रदर्शन किया। यह एक उत्सव और उपलब्धि का क्षण था, जिसने सभी को एकजुट किया। यह चार दिवसीय युवा शिविर न केवल आध्यात्मिक शिक्षा का एक मंच था, बल्कि युवाओं के मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास का एक महत्वपूर्ण अवसर भी था। इस तरह के आयोजन युवाओं को जीवन की कठिनाइयों से लड़ने के लिए तैयार करते हैं और उन्हें अपने विश्वास के साथ मजबूती से आगे बढ़ने का साहस देते हैं।