केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह (फाइल फोटो) 
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सरकारी नौकरियों से जुड़े गुलामी काल के 1600 नियम हटा कर नए नियम बनाए : डॉ. जितेंद्र सिंह

बुधवार को दिल्ली में पत्रकारों से की चर्चा

सर्जना शर्मा

नयी दिल्ली : पिछले दस साल में सरकारी भर्ती, प्रवेश परीक्षा, साक्षात्कार, कर्मचारी कल्याण, प्रशिक्षण, कैरियर विकास, पदोन्नति, सेवानिवृति, तबादलों, मातृत्व अवकाश, दिव्यांग आरक्षण श्रेणियों में बदलाव और अन्य कई सरकारी सेवा नियमों से जुड़े 1600 कानूनों को समाप्त कर दिया गया है।

कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. जितेंद्र सिंह ने बुधवार को दिल्ली में पत्रकारों को बताया कि ब्रिटिश शासकों के बनाए गए सेवा कानून अब पुराने हो चुके हैं। प्रासंगिकता खो चुके हैं इसलिए इनको बदलना समय की आवश्यकता थी। अब किसी भी प्रमाणपत्र को किसी राजपत्रित अधिकारी से अटेस्ट करवाने की जरूरत नहीं है। ग्रुप बी और सी के उम्मीदवारों के लिए साक्षात्कार लेना अब बंद कर दिया गया है। लिखित परीक्षाएं अब 13 भारतीय भाषाओं में आयोजित की जाती हैं। मातृत्व अवकाश पहले केवल बच्चे के जन्म के समय ही दिया जाता है लेकिन अब उसकी कई श्रेणियां बना दी गयी हैं, यहां तक कि सैरोगेट शिशु की देखभाल के लिए भी मातृत्व और पितृत्व अवकाश दिया जाता है। यौन शोषण से पीड़ित महिला को भी 90 दिन तक का अवकाश दिया जाता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अब पेंशन भोगियों के नियम भी बदल दिए गए हैं। पेंशन भोगी अपने परिवार के किसी भी सदस्य को पेंशन के लिए नामित कर सकता है। यहां तक कि महिला या पुरुष कर्मचारी अपनी तलाकशुदा , अविवाहित और पति से अलग रह रही बेटी को भी पेंशन के लिए नामित कर सकते हैं। पेंशन नीतियां बनाते समय पेंशन भोगियों के कल्याण और सुविधा को केंद्र में रखा गया है। कार्मिक, लोक,शिकायत और पेंशन मंत्रालय के कामकाज के 11वें साल का लेखा जोखा रखते हुए कार्मिक सचिव रचना शाह ने बताया कि सरकारी कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया से लेकर सेवानिवृति तक अनेक सुधार किए गए हैं। सर्वश्रेष्ठ योगदान देने वाले कर्मचारियों को कर्मयोगी पुरस्कार दिया जाता है। भ्रष्टाचार के मामलों में जांच की प्रक्रिया को गति दी गयी है और अब रिश्वत देने वाले को भी बराबर का दोषी माना जाता है। सरकारी दफ्तरों के चक्कर कम से कम लगाने पड़े इसलिए ज्यादातर काम अब ऑनलाइन कर दिए गए हैं। पेंशन, प्रशासनिक सुधार और शिकायत विभाग के सचिव वी श्री निवासन ने अपने विभाग का लेखा जोखा पेश किया। उन्होंने बताया कि सरकारी कर्मचारियों की शिकायतों के निपटारे में 2014 की तुलना में 827 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस साल मई तक 6 लाख से ज्यादा शिकायतों का निपटान किया जा चुका है। शिकायत निपटान अफसरों की संख्या एक लाख चार हजार आठ सौ इक्कतीस है, जो 21 दिन के भीतर शिकायत निपटा देते हैं।

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