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वंदे मातरम् के 150 वर्ष: त्रिपुरा में भाजपा मनाएगी विशेष उत्सव, 150 कलाकार करेंगे सामूहिक गायन

वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर त्रिपुरा भाजपा 7 नवंबर को त्रिपुरा में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है।

त्रिपुरा : वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर त्रिपुरा भाजपा 7 नवंबर को पूरे राज्य में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। इस ऐतिहासिक अवसर पर राजधानी अगरतला में भव्य मुख्य समारोह आयोजित होगा, जिसमें करीब 150 कलाकार एक साथ वंदे मातरम का सामूहिक गायन करेंगे। इस आयोजन में राज्य के मुख्यमंत्री प्रो. माणिक साह स्वयं उपस्थित रहेंगे और स्वतंत्रता संग्राम के इस अमर गीत को नमन करेंगे।

भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष पापिया दत्ता ने जानकारी देते हुए कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि यह भारत की आत्मा, एकता और स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि इस गीत की रचना महान साहित्यकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1870 के दशक में की थी। उस दौर में जब भारत अंग्रेज़ी हुकूमत के अधीन था, तब यह गीत भारतीयों में देशभक्ति की भावना जगाने वाला सबसे सशक्त माध्यम बनकर उभरा।

पापिया दत्ता ने बताया कि वंदे मातरम को पहली बार नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने सार्वजनिक रूप से गाया था। इसके बाद यह गीत स्वतंत्रता संग्राम का स्वर बन गया। आजादी की लड़ाई के दौरान अनेक वीर सपूतों ने फांसी के फंदे पर चढ़ते समय ‘वंदे मातरम’ के जयघोष के साथ अपने प्राण न्योछावर किए। यह गीत पूरे देश में स्वतंत्रता का संदेश बनकर गूंजता रहा।

उन्होंने आगे कहा कि आजादी के बाद वंदे मातरम को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया। यह गीत आज भी भारत की एकता, अस्मिता और गौरव का प्रतीक बना हुआ है। इसके शब्द हर भारतीय के हृदय में मातृभूमि के प्रति समर्पण और गर्व की भावना जगाते हैं। भाजपा के अनुसार, राजधानी के साथ-साथ राज्य के सभी जिलों में भी इस अवसर पर वंदे मातरम से जुड़े विशेष कार्यक्रम होंगे। कार्यकर्ता और नागरिक हाथों में तिरंगा लेकर रैलियां निकालेंगे, सामूहिक गायन करेंगे और लोगों को गीत के इतिहास व महत्व से अवगत कराएंगे।

यह आयोजन न केवल देशभक्ति की भावना को प्रबल करने का प्रयास है, बल्कि उस गौरवशाली इतिहास को याद करने का भी अवसर है, जिसने भारत को स्वतंत्रता की राह पर अग्रसर किया। वंदे मातरम के माध्यम से त्रिपुरा भाजपा देश की एकता और संस्कृति की शक्ति को पुनः उजागर करने जा रही है।

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