कोलकाता: होली, दिवाली, मकर संक्रांति, रंक्षाबंधन आदि हिंदू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक हैं जो कि हमारे देश के साथ-साथ आजकल विदेशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन्हीं त्योहारों में से एक पर्व है होली का त्योहार। होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन करने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। अक्सर होलिका दहन देखते समय हमारे मन में ये सवाल आता है कि आखिर क्यों हर साल होलिका दहन किया जाता है और क्यों ये प्रथा सदियों से चली आ रही है। ऐसे में आइए आपको होलिका दहन का शुभ मुहूर्त के साथ इस दिन क्या करना चाहिए और नहीं करना चाहिए इस बारे में बताते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार होलिका दहन हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन किया जाता है। होलिका दहन के अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। होली खेलने के साथ होलिका की आग में सभी नकारात्मक शक्तियों का दहन किया जाता है।
पंचांग के अनुसार इस साल होलिका दहन रविवार 24 मार्च 2024 के दिन किया जाएगा। होलिका दहन भद्रा काल समाप्त होने के बाद ही किया जाता है। ऐसे में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च की रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 25 मार्च को रात 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। ऐसे में होलिका दहन की पूजा के लिए कुल समय 1 घंटा 14 मिनट मिल रहा है। अगर आप शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करते हैं, तो यह आपके लिए बहुत शुभ होता है और इसके कई लाभ भी देखने को मिलते हैं।
फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होने वाला होलिका दहन हिंदुओं के लिए बहुत महत्व रखता है। होलिका दहन के दौरान ध्यान रखने वाले कुछ नियमों के बारे में बताया गया है जो कि इस प्रकार हैं-