तीसरे डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट के शुभारंभ समारोह में एडमिरल सूरज बेरी, एवीएसएम, एनएम, वीएसएम, कमांडर-इन-चीफ और पृथिश चौधरी, उप प्रबंध निदेशक, टीटागढ़ रेल सिस्टम्स 
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भारतीय नौसेना के लिए तीसरा डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट लांच

टीटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड ने बढ़ाया कदम

कोलकाता : टीटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड (टीआरएसएल) ने भारतीय नौसेना के लिए स्वदेशी रूप से निर्मित तीसरे डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट (डीएससी) का जलावतरण किया। यह पोत रक्षा मंत्रालय की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अंतर्गत बनाए जा रहे 5 डीएससी की श्रृंखला का हिस्सा है। लांच समारोह में कंगना बेरी, जो वाइस एडमिरल सुरज बेरी (एवीएसएम, एनएम, वीएसएम, कमांडर-इन-चीफ) की पत्नी हैं, ने पारंपरिक रीति से क्राफ्ट का नामकरण और जलावतरण किया। यह पोत शाम 4.10 बजे हुगली नदी में उतारा गया। ये डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट कैटामरन-प्रकार के पोत हैं, जिनमें उन्नत स्वदेशी उपकरण लगे हैं। इनका उपयोग नौसेना की कमांड क्लियरेंस डाइविंग टीमें (सीसीडीटीएस) पानी के नीचे मरम्मत, रखरखाव और बचाव कार्यों के लिए करेंगी।

नौसेना की अंडरवाटर ऑपरेशनल क्षमता बढ़ाने में अहम

टीआरएसएल के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, उमेश चौधरी ने कहा, ‘तीसरे डीएससी का जलावतरण टीटागढ़ की नौसैनिक शिपबिल्डिंग और रक्षा निर्माण क्षमता को दर्शाता है। ये अत्याधुनिक पोत नौसेना की अंडरवाटर ऑपरेशनल क्षमता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएंगे और हमें गर्व है कि हम इन्हें देश में ही बना रहे हैं।’ ये क्राफ्ट नौसेना के डाइविंग कैडर के लिए उन्नत प्रशिक्षण प्लेटफॉर्म के रूप में भी कार्य करेंगे, जिससे उनकी संचालन क्षमता में वृद्धि होगी।

अब तक 35 से अधिक उन्नत पोत बनाये

टीआरएसएल की शिपबिल्डिंग और मरीन सिस्टम्स डिविजन ने अब तक 35 से अधिक उन्नत पोत सफलतापूर्वक बनाए हैं, जिनमें भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड और राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) के लिए विशेष पोत शामिल हैं। यहां उल्लेखनीय है कि कंपनी द्वारा निर्मित एक तटीय अनुसंधान पोत 12वें प्रेसिडेंशियल फ्लीट रिव्यू में भी प्रदर्शित हुआ था। हाल ही में टीआरएसएल ने अपने फलता शिपयार्ड के विस्तार के लिए जेट्टी और आसपास की भूमि दीर्घकालिक लीज पर ली है और जीआरएसई से भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (जीएसआई) के लिए 2 तटीय अनुसंधान पोत बनाने का आदेश भी प्राप्त किया है। इस लांच के साथ ही टीआरएसएल ने भारत की शिपबिल्डिंग क्षमता और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और अहम कदम बढ़ाया है।

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