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पहाड़ पर बढ़ती हुई होर्डिंग एवं बैनर पर्यावरण सहित प्राकृतिक मनोरम दृश्य अवलोकन में बाधा एवं अर्चन

कर्सियांग : दार्जीलिङ पहाड़ की विभिन्न स्थानों की तरह कर्सियांग महकमा क्षेत्र में भी वर्तमान में जहां तहां, बढ़ रही विभिन्न कमर्शियल विज्ञापन के होर्डिङ एवं बैनर के कारण पर्यावरण के साथ साथ पहाड़ की प्राकृतिक मनोरम दृश्य अवलोकन में आ रही हैं बाधाएं एवं अर्चन ।कर्सियांग मे पत्रकारों से बातचीत करते हुए, कर्सियांग निवासी एवं युवा कार्यकर्ता भूषण छेत्री ने बताया कि वर्तमान में दार्जीलिङ पहाड़ की विभिन्न स्थानों पर जहां तहां विभिन्न कमर्शियल विज्ञापनों की होर्डिङ दिखी जा रही है । उक्त होर्डिंग एवं ब्यानर शहर बाजार क्षेत्र सहित पहाड़ की विभिन्न प्रमुख मार्गों अथवा सड़कों को किनार में बढ़ी संख्या में बढ़ते जा रही है। इतना हीं नहीं, सड़क किनार की विभिन्न घरों के उपर भी ऐसे बड़े बड़े होर्डिङ एवं बैनर लगी हुई दिखाई दे रही है। इसके अलावा सड़क के किनार के नजदीक विभिन्न सरकारी जमीन जैसे पीडब्लुडी, एनएच, चाय बागान, वन विभाग आदि स्थानों पर भी विभिन्न कमर्शियल विज्ञापन होर्डिंग की संख्या पहाड़ पर बढ़ती जा रही है । जिससे प्राकृतिक मनोरम दृश्य देखने में बाधा उत्पन्न होती है। जहां तहां एवं अव्यस्थित प्रकार से लग रही होर्डिङ लगाने की अनुमति कौन एवं किस आधार पर एवं किन शर्तों में दे रही इन सभी विषयों पर सम्बन्धित विभाग को उचित पहल एवं उचित व्यवस्थापन करने की आवश्यक है ।

पहाड़ के लोगों को समझना चाहिए कि पहाड़ पर पर्यटक प्राकृतिक मनोरम दृश्य अवलोकन के लिए आते हैं। पहाड़ की हरियाली वन जंगल आदि प्राकृतिक दृश्य देखने आते हैं । अगर इसी तरह से पहाड़ से होर्डिंग एवं बैनर की संख्या बढ़ती रही तो, आने वाले दिनों में पर्यटन पर व्यापक प्रभाव पर सकती है ।

छेत्री ने आगे बताया कि दार्जिलिंग के कई अच्छे राम्रो भ्यू पोइन्ट नजदीक छोटे बड़े भवन निर्माण होने के कारण कई भ्यू पोइन्ट आगे से हीं प्रभावित है । ऐसे स्थित में पहाड़ पर बढ़ रही होर्डिंग बैनर पर्यटन उद्योग में एक सोचनीय विषय हो गई है।

दूसरी ओर पर्यावरण के एक जानकार व्यक्ति प्रशान्त राई ने बताया कि जहां तहां लगाई होर्डिङ एवं बैनर से न केवल पहाड़ की प्राकृतिक सुन्दरता प्रभावित हो रही है, बल्कि इन होर्डिङ एवं बैनर में लगाई गई रसायनयुक्त रंगों एवं पदार्थों से पर्यावरण एवं वन्य जीव प्राणीयों पर भी नकारात्मक असर पर रही है । अर्थात् दार्जिलिंग पहाड़ की स्वच्छ हावा-पानी, हरियाली, पर्यावरण, वन्य जीवों आदि विषयों पर जोर देते हुए , बढ़ती होर्डिंग एवं बैनर की संख्या पर अंकुश एवं सटीक व्यवस्थापन की आवश्यकता देखी गई है।

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