कोलकाता : बाइक चलाने का शौक तो काफी लोगों को है, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें शोर-शराबा और सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अपनी बाइक से साइलेंसर हटवाना अथवा साइलेंसर को मोडिफाइ करवाना पसंद होता है। हालांकि मोडिफाइड साइलेंसर वाली बाइक चलाना कानूनी तौर पर अवैध है। इस कारण पुलिस द्वारा आये दिन इसे लेकर अभियान चलाये जाते हैं और काफी संख्या में मोडिफाइड साइलेंसर वाली बाइक जब्त भी की जाती है। मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात। मोडिफाइड साइलेंसर वाली बाइक के साथ लोगों की ‘दबंगई’ खत्म ही नहीं हो रही है। विशेषकर कुछ इलाकों में रात होते ही ऐसी बाइकों के साथ लोगाें की ‘दबंगई’ बढ़ जाती है और पुलिस के सभी तरह के अभियान धरे के धरे रह जाते हैं।
कुछ इलाकों में अधिक हंगामा
महानगर के कुछ इलाकों में रात के समय में मोडिफाइड साइलेंसर के साथ बाइक चलाने वालों की दबंगई काफी अधिक देखी जा रही है। विशेषकर मध्य व दक्षिण कोलकाता में रफी अहमद किदवई रोड, तिलजला, पार्क सर्कस, तपसिया समेत बालीगंज जैसे पौश इलाकों में भी रात के समय ऐसे बाइकर्स अधिक देखे जा रहे हैं। सिग्नल के पास आकर ये बाइकर्स आवाज कम कर लेते हैं, लेकिन सिग्नल पार करते ही फिर इनका हंगामा चालू हो जाता है। सूत्रों के अनुसार, सिग्नल के बीच भी सामंजस्य के तहत ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को काम करने के लिए कहा गया है। इसके लिए सभी 26 ट्रैफिक गार्ड को निर्देश दिये गये हैं कि मोडिफाइड साइलेंसर वाले बाइकर्स के खिलाफ कार्रवाई करें। वहीं उत्तर कोलकाता में लेकटाउन, बांगुर, पातीपुकुर, बेलगछिया जैसे इलाकों में इन बाइक वालों का ‘आतंक’ देखा जा रहा है।
बढ़ाता है ध्वनि प्रदूषण, 10,000 रुपये तक जुर्माना
सूत्रों के अनुसार, वाहन निर्माताओं द्वारा एक निर्धारित ध्वनि सीमा के अंदर साइलेंसर डिजाइन की जाती है जिनमें बदलाव लाना कानूनी अपराध है। मोटर ह्वीकल एक्ट, 1988 की धारा 190 (2) के तहत बाइक सवार को ध्वनि प्रदूषण करने के कारण 10,000 रुपये तक सजा और 3 महीने तक की सजा हो सकती है। सूत्रों के अनुसार, गत जून महीने में लगभग 48 शिकायतें साइलेंसर को मोडिफाइ करने को लेकर दर्ज की गयी थीं।