कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा नौकरी खोने वाले शिक्षकों के मुद्दे पर संवाददाता सम्मेलन में पुनः पैनल प्रकाशित कर आवेदन के लिए नोटिफिकेशन की तारीख प्रकाशित किये जाने के मुद्दे पर शिक्षकाें ने प्रतिक्रिया जाहिर की। एसएससी भवन के निकट संवाददाताओं को संबोधित करते हुए शिक्षकों ने कहा, ‘मुख्यमंत्री द्वारा जारी नोटिफिकेशन हमारे लिए डेथ वारंट से कम नहीं है। हम नहीं चाहते थे कि इस प्रकार विस्तृत नोटिफिकेशन जारी किया जाये। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में इतना विस्तृत ब्योरा देने के लिए नहीं कहा गया था।’
शिक्षकों ने कहा, ‘आखिरकार हमारी आशंका ही सही साबित हुई। इस तरह के विस्तृत नोटिफिकेशन से स्पष्ट पता चलता है कि सरकार के पास इच्छा की कमी है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानते हुए दुर्नीति को भूलने की कोशिश की। ऐसा कर हमारे साथ अन्याय किया गया है। सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों से पलड़ा झाड़ लिया है। सरकार के सामने दो विकल्प थे जिनमें परीक्षा देना और रिव्यू दोनों हैं। हालांकि सरकार ने पहला विकल्प चुना, लेकिन सरकार से अपील करूंगा कि रिव्यू के लिए पूरी कोशिश करे। राज्य सरकार अगर नोटिफिकेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन की तारीख कुछ समय बाद देती तो रिव्यू के लिए कुछ और समय मिल सकता था।’
इस मुद्दे पर बंगीय शिक्षक व शिक्षा कर्मी समिति के महासचिव स्वपन मण्डल ने कहा, ‘सीएम ने नौकरी के लिए परीक्षा की घोषणा की जहां उन्होंने आवेदन, मेधा तालिका प्रकाशित व काउंसिलिंग के लिए संभावित तारीख की बात कहे जाने पर भी परीक्षा कब होगी, इसकी तारीख की घोषणा नहीं की गयी। केवल यही नहीं, जिस संख्या में शून्य पदों की बात कही गयी, वह भी ठीक नहीं है। लगभग 9 वर्षों तक नियुक्ति नहीं होने व 2016 में सभी शून्य पदाें को मिलाकर कम से कम 70 हजार शून्य पद होने चाहिये। ऐसा लगता है कि सरकार सभी शून्य पदों पर नियुक्ति नहीं करना चाहती।’