कोलकाता : सॉल्ट लेक लोक संस्कृति द्वारा पिछले कई वर्षों से हर वर्ष आयोजित किया जाने वाला राजस्थानी मेला धीरे धीरे परवान चढ़ रहा है। पिछले कुछ दिनों की ही तरह,मच पर आज के आमंत्रित अतिथियों का पारंपरिक राजस्थानी तरीके के साथ साफा और दुपट्टा पहना कर अभिनंदन किया गया। संस्था के अध्यक्ष संदीप गर्ग,महेंद्र अग्रवाल, राहुल खन्ना,किशन राठी, राजेश सिंघानिया,इंद्र कुमार डागा और संस्था के अन्य सदस्यों ने अतिथियों का मंच पर सादर स्वागत किया। मेट्रो रेल के एस एन कुमार,बी पी गोपालिका,पूर्व विधायक दिनेश बजाज,सुनील अग्रवाल,मनोज जैन,राम किशोर लुहारीवाला,रवि शंकर अग्रवाल, ललित सरावगी, लक्ष्मण अग्रवाल, प्रदीप लुहारीवाला, सुदेश अग्रवाल, लायंस क्लब की डीजी मंजू चमड़िया, नीतू बैद,दक्षा शाह के साथ और भी अन्य गणमान्य सुधिजन मेला में पधारे एवं संस्था के कार्यकर्ताओं के प्रति आशीर्वचन कहे। मेला में हर शाम कई प्रशासनिक अधिकारीगण अपनी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद समय निकाल कर आते हैं जिन्हें सम्मानित कर संस्था स्वयं को गौरान्वित महसूस करती है। राजस्थान एवं हरियाणा की कला एवं संस्कृति को लोकप्रिय बनाने एवं नई पीढ़ी के बीच जागरूकता लाने के उद्देश्य से पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से संस्था द्वारा इस दिशा में किए जा रहे अनवरत प्रयास को सभी महानुभावों ने सराहा।मेले के शुरुआती वर्षों से ही चोखी ढाणी मेले के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रही है। यहाँ परोसे जा रहे राजस्थानी व्यजनों में अधिकांश अतिथिगण बाजरे का खिचड़ा,दही गुझिया/बड़ा,गट्टे की सब्ज़ी, सांगरी,फली की सब्ज़ी,गोंद पाक, जोधपुरी मिर्ची बड़ा और मालपुआ ज़्यादा पसंद कर रहे हैं। संगीता भुवानिया, शशि अग्रवाल,केशव सोमानी,ममता चांडक,नारायण बिहानी,मनमोहन राठी एवं मयंक राठी चोखी ढाणी की व्यवस्था सुनिश्चित करने में व्यस्त दिखे।
संस्था के द्वारा आयोजित चोखी ढाणी के शुरुआती वर्षों से ही राजस्थान के लोकप्रिय शंकर महाराज अपने पूरे दल,जिनमें धनराज, बिरजू ,अलसी और मगन महाराज उल्लेखनीय हैं,के साथ इस मेले के लिए राजस्थान से अपने अन्य कारीगरों को लेकर आते हैं। कैर,फली,सांगरी, बड़ी,नाना प्रकार के मसाले और कई ज़रूरी कच्चे सामान वहीं से स्वयं पसंद कर के लाते हैं। रसोई का प्रबंधन देख रहे प्रेम झंवर और किशोर कुमार शर्मा ने बताया कि बड़ी शिद्दत और परिश्रम से सभी कारीगर, अतिथियों के लिए उनके पसंदीदा व्यंजन बनाते हैं और पाक कला में अपनी दक्षता का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इतने वर्षों के जुड़ाव की वजह से ये भी संस्था के परिवार के अभिन्न अंग से हो गए हैं।
संस्था के वरिष्ठ सदस्य सुशील बागड़ी मेला प्रारम्भ होने के दो महीने पहले ही आयोजन के जरूरत के हिसाब से राजस्थानी पगड़ी एवं दुपट्टे की व्यवस्था करते हैं एवं दो दशकों से राजस्थान से इन चीजों को स्वयं पसंद करके मंगवाते रहे हैं। इंद्र कुमार डागा ने बताया कि मेला के इस नए परिसर का,जो कि शहर के बीचों बीच स्थित है,नगर वासियों द्वारा जबरदस्त स्वागत किया गया है एवं संस्था को बहुत स्नेह मिल रहा है। फूलबगान,लेक टाऊन,बांगड़,श्रीभूमि बागुईहाटी एवं राम मंदिर जैसे इलाकों में लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं है। उनका कहना है कि उनके वर्षों की तमन्ना अब पूरी हो गई है क्योंकि अब उन्हें देर रात को मेले से वापसी में असुविधाओं का सामना बिल्कुल नहीं करना पड़ेगा और बच्चों समेत पूरा परिवार मरूभूमि के इंद्रधनुषी रंग में निष्फिक्र होकर रंग सकेंगे। मेले में जादूगर के करतब बच्चों को बहुत पसंद आ रहे हैं। ज्योतिषी के पास विशेषकर महिलाओं की ज़्यादा रुचि दिखी। आयोजकगण इस बात के लिए साधुवाद के हकदार हैं कि बड़े बुजुर्गों की सुविधा के लिए उन्होंने निःशुल्क बैटरी चालित, प्रदूषण रहित वाहनों की व्यवस्था भी कर रखी है ताकि जिन्हें भी आवश्यकता महसूस हो तो मेला परिसर में उन्हें कोई असुविधा का सामना न करना पड़े। संस्था के युवा समिति के सदस्य सौरभ मूंधड़ा और गीतेश लाखोटिया मंच पर गायिका ऋत्विका के रंगारंग कार्यक्रम की निर्विघ्न संचालन सुनिश्चित करने में मशगूल थे। गायिका ने अपनी शानदार प्रस्तुति से एक संगीतमय माहौल का सृजन कर सभी का मन जीत लिया। उनके साथ युवा गायक मैनक ने कई युगल गीत गाए जिन्हें सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। संस्था के सचिव कमलेश केजरीवाल ने कहा कि हल्की मीठी सर्दियों के इस सुहाने मौसम में मेला में आये लोगों की ख़ुशी देखकर ही यकीन हो सकता है कि स्वस्थ परिवेश में पारिवारिक मनोरंजन के लिए सॉल्ट लेक लोक संस्कृति ने नगरवासियों को सही मायने में एक बहुत ही सुंदर विकल्प उपलब्ध कराया है। उन्होंने कहा कि मेला प्रांगण में जगह जगह लोग परिवार या मित्रों के साथ रस्सियों से बुनी हुई लकड़ी की खटिया में बैठ कर लोकप्रिय राजस्थानी गीतों की धुनों पर मस्ती ले रहे हैं एवं साथ ही नाना प्रकार के स्वादिष्ट गरम गरम व्यंजनों का रसास्वादन भी कर रहे हैं। संस्था के कार्यकारिणी समिति की सदस्या संगीता डिडवानिया ने बताया कि ऊंट की सवारी को लेकर मेहमानों में जबरदस्त उत्साह है। कई बच्चे तो दो-दो बार सैर करने के बाद ही ऊंट से उतरने को तैयार होते हैं। संस्था के कोषाध्यक्ष राजकुमार मूंधड़ा ने जानकारी दी कि ख़ास इस मेले के लिए बीकानेर के मशहूर रबड़ी छत्ते वाले को बुलवाया गया है। बर्फ एवं अलग अलग स्वाद एवं रंगों से बने शरबतों से बहुत ही स्वादिष्ट छत्ता बनता है। साथ ही लाजवाब राजस्थानी कुल्फी का स्वाद ठंड के इस मौसम में सुख और आनंद ही अलग देता है। यही वजह है कि इस स्टॉल में हर वक़्त लोगों का जमावड़ा लगा रहता है।